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Farmer protest: 11 मांगे लेकर जंतर-मंतर पहुंचे थे किसान-अल्टीमेटम देकर वापस लौटे

किसानों ने सरकार को अल्टीमेटम दिया कि, अगर मांगे नहीं मानी तो पहले की तरह आंदोलन होगा.

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किसान (Farmer Protest) एक बार फिर दिल्ली में इकट्ठा हुए. इस बार वो बॉर्डर पार करके दिल्ली के जंतर-मंतर (Jantar Mantar) तक पहुंचे. किसानों ने अपनी उन कई मांगो को लेकर जंतर-मंतर का रुख किया है, जिन पर केंद्र सरकार के साथ उनकी बात बनी थी और धरना खत्म हुआ था. लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक इस प्रदर्शन में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) नहीं आये. इसके पीछे की वजह संयुक्त किसान मोर्चा का इस प्रदर्शन से खुद को अलग रखना हो सकती है.

किसानों के मुताबिक ये वही मांगें हैं, जिन पर सरकार से सहमति बन गई थी. लेकिन अभी तक कुछ हुआ नहीं. इसलिए उन्हें दोबारा दिल्ली के दर पर आना पड़ा है.
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किसानों की मांगे क्या हैं ?

इस बार किसान जंतर-मंतर जब पहुंचे थे उनके पास मांगों की एक लिस्ट थी. किसानों का दावा है कि इन मांगों पर केंद्र सरकार के साथ सहमति बनी थी, लेकिन सरकार ने अभी तक अपना वादा पूरा नहीं किया है.

ये हैं किसानों की मांगें-

  1. लखीमपुर खीरी नरसंहार के पीड़ित किसान परिवारों को इंसाफम मिले

  2. जेलों में बंद किसानों की रिहाई हो

  3. नरसंहार के मुख्य दोषी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी की जाए

  4. स्वामीनाथन आयोग के C2+50% फॉर्मूले के अनुसार MSP की गारंटी का कानून बनाया जाए

  5. देश के सभी किसानों को कर्जमुक्त किया जाए

  6. बिजली बिल 2022 रद्द किया जाए

  7. गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए और गन्ने की बकाया राशि का भुगतान तुरन्त किया जाए

  8. भारत WTO से बाहर आये और सभी मुक्त व्यापार समझौतों को रद्द किया जाए

  9. किसान आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए सभी मुकदमे वापस लिए जाएं

  10. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों के बकाया मुआवज़े का भुगतान तुरन्त किया जाए

  11. अग्निपथ योजना वापिस ली जाए

किसानों ने सरकार को अल्टीमेटम दिया कि, अगर मांगे नहीं मानी तो पहले की तरह आंदोलन होगा.

जंतर-मंतर पर बैठे किसान

फोटो- PTI

संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) ने प्रेस नोट जारी करके सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि अगर जल्द ही उनकी मांगें नहीं मानी गई तो पहले की ही तरह किसान एक बार फिर दिल्ली की तरफ कूच करेंगे. किसानों ने आरोप लगाया कि सरकार का पहले की ही तरह इस बार भी तानाशाही रवैया जारी रहा. दिल्ली से सटे बॉर्डर्स पर किसानों को रोका गया. किसान नेता हरपाल बिलारी, अभिमन्यु कोहाड़ और अन्य किसानों को जगह-जगह रोका गया.

किसानों ने सरकार को अल्टीमेटम दिया कि, अगर मांगे नहीं मानी तो पहले की तरह आंदोलन होगा.

बॉर्डर पर चैकिंग के लिए प्रशासन के इंतजाम

फोटो- PTI

प्रशासन ने किये थे सुरक्षा के पुखाता इंतजाम

प्रशासन ने दिल्ली में किसानों को घुसने से रोकने के लिए चारों तरफ दिल्ली के बॉर्डर पर नाकेबंदी की थी. हर वाहन की गहन चैकिंग की जा रही थी. लेकिन किसान अलग-अलग रास्तों से दिल्ली में पैदल ही घुस आये. और जंतर-मंतर पर हजारों की संख्या में इकट्ठा हुए.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, संयुक्त किसान मोर्चा ने इस प्रदर्शन से खुद को अलग करते हुए स्पष्टीकरण दिया और कहा कि जंतर मंतर पर ये प्रदर्शन संयुक्त किसान मोर्चा का आह्वान नहीं है. ये प्रदर्शन कुछ किसान संघों ने बुलाया था जो 2020-21 के किसानों के प्रदर्शन में शामिल थे. इस प्रदर्शन की अगुवाई बीकेयू एकता सिद्धूपुर के जगजीत सिंह दल्लेवाल कर रहे थे.

किसानों ने सरकार को अल्टीमेटम दिया कि, अगर मांगे नहीं मानी तो पहले की तरह आंदोलन होगा.

इंद्रप्रस्थ के पास पैदल जंतर-मंतर की ओर जाते किसान

फोटो- वकार आलम

‘ये ट्रेलर था, सरकार ने मांगें नहीं मानी तो पूरी फिल्म दिखाएंगे’

किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा का कहना है कि अभी हमारा आंदोलन सिर्फ फिल्म से पहले का ट्रेलर है. अगर हमारी मांगे पूरी नहीं होती हैं तो बड़े आंदोलन के जरिए पूरी फिल्म दिखाएंगे. हमारा आंदोलन गैर राजनीतिक है और आंदोलन के पहले दिन से साफ था. जंतर-मंतर पर यूपी, हरियाणा और पंजाब समेत अन्य राज्यों से बड़ी संख्या किसान आये जो इस संगठन की जीत है.

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