किसान आंदोलन को पूरा एक साल (Farmer Protest one year) हो गया है. जिसको लेकर किसान जश्न (farmer protest one year celebration) की तैयारी में हैं. किसान दिल्ली के चारों ओर बॉर्डर (Border) पर प्रदर्शन स्थलों में बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. बृहस्पतिवार को किसान नेता बूटा सिंह शादीपुर ने कहा कि, 26 नवंबर को दिल्ली (Delhi) और हरियाणा (Haryana) के सभी बॉर्डर पर 1 साल पूरा होने और तीन कृषि कानूनों की वापसी पर जश्न मनाया जाएगा.
किसानों में दोगुना जोश
पीएम मोदी द्वारा कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसानों में दोगुना जोश है. हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत कई प्रदेशों से किसान दिल्ली बॉर्डर पहुंच रहे हैं. किसानों को अब लग रहा है कि एक लड़ाई वो जीत चुके हैं और दूसरी के लिए डलड़ाई लड़ने जा रहे हैं. इसीलिए टिकरी, सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की संख्या बढ़ती जा रही है.
कृषि कानून वापसी का ऐलान
19 नवंबर को पीएम मोदी ने खुद तीन नए कृषि कानूनों को वापसी का ऐलान किया और किसानों से अनुरोध किया कि अब वो अपने घर वापस लौट जाएं. पीएम मोदी के ऐलान के बाद केंद्रीय कैबिनेट ने भी बिल वापसी पर मुहर लगा दी. अब 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में तीन नए कृषि कानूनों की वापसी को अमलीजामा पहना दिया जाएगा.
कृषि कानून वापसी पर भी प्रदर्शन खत्म क्यों नहीं हुआ?
कृषि कानून वापसी किसानों का इकलौता मुद्दा नहीं था, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि, केंद्र सरकार को एमएसपी पर कानून बनाना होगा. इसके अलावा भी हमारी बहुत सारी मांगे हैं, जिन पर कमेटी बना दी जाए और फिर बात होती रहेगी. इस आंदोलन के दौरान करीब 700 किसानों की जान गई है, उनके परिजनों को भी किसान संगठन मुआवजा दिलाना चाहते हैं.
ये हैं किसानों की मुख्य मांगे
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाया जाए.
धरना प्रदर्शन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं.
बिजली से जुड़े मुद्दे दूर हों.
‘विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020/2021’ का ड्राफ्ट केंद्र सरकार वापस ले.
मृतक किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाये
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम, 2021’ में किसानों को सजा देने के प्रावधान हटाए जाए.
मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए.
मृतक किसानों स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंघू बॉर्डर पर जमीन उपलब्द करवाई जाए.
किसानों का आगे प्लान क्या है?
पहले तो किसान 26 नवंबर को जश्न मनाएंगे. उसके बाद 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान दिल्ली कूच करेंगे. इस कूच में तय किये गये ट्रैक्टर-ट्राली संसद जाएंगे और अपना विरोध दर्ज कराएंगे. इसके जरिए किसान सरकार के आगे और आक्रामकता से अपनी मांगे रखना चाहते हैं.
दिल्ली पुलिस हुई सतर्क
दिल्ली पुलिस के पीआरओ चिन्मय बिस्वाल ने कहा कि, राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर कानून-व्यवस्था बनाए रखना दिल्ली पुलिस का कर्तव्य है. हम 26 नवंबर को किसानों के आह्वान की निगरानी कर रहे हैं ताकि यह देखा जा सके कि कोई अवैध गतिविधि/अशांति न हो और कोई भी कानून अपने हाथ में न ले.
किसान आंदोलन के एक साल में कब क्या हुआ?
26 नवंबर 2020- दिल्ली जा रहे किसानों को पुलिस ने बॉर्डर पर रोक दिया, किसान वहीं धरने पर बैठ गए
28 नवंबर, 2020- गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों के साथ बातचीत करने का ऑफर दिया
03 दिसंबर, 2020- सरकार और किसानों के बीच पहले दौर की बातचीत हुई
08 दिसंबर, 2020- कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने भारत बंद बुलाया
30 दिसंबर, 2020- सरकार किसानों को पराली जलाने पर पेनाल्टी और इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 में सुधार के लिए सहमत हुई
26 जनवरी, 2021- किसानों ने गणतंत्र दिवस पर परेड बुलाई जिसमें लालकिले पर हिंसा बवाल हो गया
5 मार्च 2021- पंजाब विधानसभा ने किसानों के समर्थन में एक रिजॉल्यूशन पास किया
15 अप्रैल 2021- किसानों की समस्या हल करने के लिए हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी
जुलाई 2021- किसानों ने मानसून सत्र के दौरान संसद के बाहर अपनी संसद चलाई
28 अगस्त 2021- हरियाणा के करनाल में किसानों के ऊपर लाठी चार्ज हुआ और कई किसान घायल हुए
7 सितंबर 2021- किसान करनाल पहुंचे और 11 सितंबर को गतिरोध खत्म हुआ
19 नवंबर 2021- पीएम मोदी ने तीन कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया
22 नवंबर 2021- किसानों ने लखनऊ में महापंचायत की और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग की
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