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‘कर्ज माफी’ फैशन? मप्र में अब तक 19 किसानों ने की आत्महत्या

बीते 11 दिनों में कर्ज और सूदखोरों से परेशान होकर आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 19 हो गई है.

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भारत
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मध्यप्रदेश में किसान आत्महत्याओं का सिलसिला थम नहीं रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुदनी में सूदखोर से परेशान होकर किसान ने आत्महत्या कर ली. मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर में 11 दिनों में पांचवें किसान ने आत्महत्या की है.

ग्वाडिया गांव के निवासी शत्रुघ्न (52) ने एक सूदखोर से पांच लाख का कर्ज लिया था. सूदखोर उसे दी गई रकम का दोगुना (10 लाख रुपये) मांग रहा था, इससे किसान परेशान था. तनावग्रस्त किसान ने गुरुवार की सुबह जहर खा लिया. गंभीर हालत में उसे होशंगाबाद के प्राइवेट हाॅस्पिटल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई.

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बुदनी थाने के प्रभारी आर एन शर्मा ने बताया कि शत्रुघ्न ने जहर खाकर आत्महत्या की है, यह बात सही है. मगर कारण पता नहीं चल सका है. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

विधानसभा में विपक्षी नेता अजय सिंह का कहना है कि किसान शत्रुघ्न को जिस सूदखोर ने कर्ज दिया था, वह बीजेपी का नेता है और मुख्यमंत्री चौहान का करीबी.

राज्य में बीते 11 दिनों में कर्ज और सूदखोरों से परेशान होकर आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 19 हो गई है. वहीं एक से 10 जून तक चले किसान आंदोलन के दौरान छह जून को पुलिस की गोली से पांच और पिटाई से एक किसान की मौत हुई थी.

“कर्ज माफी फैशन”

दूसरी तरफ, केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने गुरुवार को कहा कि ‘कृषि कर्ज माफी’ आजकल फैशन बन गया है. कर्ज माफी होनी चाहिए लेकिन सिर्फ विशेष परिस्थितियों में. किसानों की बेहतरी के लिए कर्ज माफी अंतिम चारा नहीं है.

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किसानों की मौत के बढ़ते आंकड़े

एक के बाद एक लगातार जान दे रहे किसानों के परिजनों के प्रति प्रदेश सरकार की तरफ से न तो कोई संवेदना प्रकट की जा रही है और न ही किसानों को कोई आश्वासन दिया जा रहा है. कहा जा रहा है कि सरकार किसानों के फायदे के लिए कई कदम पहले ही उठा चुकी है.

इससे पहले दोहरा थाना क्षेत्र के जिमोनिया खुर्द में बंशीलाल (54), जजना गांव में पांच लाख के कर्जदार दुलीचंद्र, नसरुल्लागंज के लाचौर गांव के डेढ़ एकड़ भूमि के किसान मुकेश यादव (23), सिद्दीकीगंज थाना क्षेत्र के बापचा गांव के 75 वर्षीय बुजुर्ग किसान खाजू खां ने बीते दिनों आत्महत्या कर ली.

वहीं छिंदवाड़ा जिले के किसान श्याम यदुवंशी ने बुधवार को कीटनाशक पी लिया था, उसकी गुरुवार को अस्पताल में मौत हो गई. यदुवंशी पर बैंक का सात लाख का कर्ज था और उसका बिजली बिल बकाया था. बैंककर्मी और बिजली कंपनी के कर्मचारी उसके घर वसूली के लिए गए थे. उसके बाद से वह तनाव में था, उसने जहर खाकर जान दे दी.

पुलिस के मुताबिक, बुधवार दोपहर को सागर जिले के निवासी गुलई कुर्मी (50) ने सूदखोर से परेशान होकर महुआ के पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली. वह सुसाइड नोट भी छोड़ गया है, जिसमें सूदखोर से परेशान किए जाने का जिक्र है.

वहीं छतरपुर जिले के महेश तिवारी (75) ने बुधवार की शाम को फांसी लगाकर जान दे दी. परिजनों का कहना है कि कर्ज से परेशान होकर उसने यह कदम उठाया. लेकिन थाना प्रभारी अरविंद कुजूर का कहना है कि महेश तिवारी बीमारी से परेशान था और उसने पड़ोस के खंडहर में बदल चुके मकान में जाकर फांसी लगा ली.

किसान आत्महत्या के कई मामले को पुलिस 'कर्ज से परेशान होकर जान दिया जाना' मानने के बजाय 'नशे में' या गृहकलह के कारण आत्महत्या करार देने के कोशिश में लगी है.

-इनपुट IANS से

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