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किसान 7 जनवरी को निकालेंगे ट्रैक्टर मार्च, आंदोलन तेज करने का ऐलान

केंद्र के साथ हुई 7वें दौर की बातचीत के बाद किसानों ने रखी अपनी बात 

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केंद्र सरकार के साथ 4 जनवरी को हुई बैठक के बाद और 8 जनवरी को होने वाली बैठक से पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने अपना रुख साफ किया है. किसानों ने साफ किया है कि सरकार उनकी बात नहीं मान रही है, इसीलिए वो अब इस आंदोलन को तेज करने जा रहे हैं. इसके लिए सबसे पहले 7 जनवरी को एक ट्रैक्टर मार्च निकाला जा रहा है, जिसमें हजारों ट्रैक्टर शामिल होंगे.

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7 जनवरी को दिखेगा 26 जनवरी का ट्रेलर

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि 7 जनवरी को यानी केंद्र के साथ बैठक से ठीक एक दिन पहले ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा. ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरिफेरल वे पर चार अलग-अलग जगहों से ट्रैक्टर मार्च निकलेगा. बताया गया कि ये मार्च 26 जनवरी को होने वाले ट्रैक्टर मार्च का एक ट्रेलर होगा. कुंडली बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर और मेवात के रेवासन में ट्रैक्टर मार्च होगा. यानी कुंडली-मानेसर-पलवल मार्ग को जाम किया जाएगा.

किसानों ने बताया कि 9 जनवरी को सर छोटूराम चौधरी की पुण्यतिथि के मौके पर उन्हें याद किया जाएगा. जिन्होंने एपीएमसी और तमाम वो कानून दिए थे जिन्हें बचाने के लिए आज लड़ाई लड़ी जा रही है.13 जनवरी को लोहड़ी के दिन वो कृषि कानूनों की कॉपियां आग में जलाएंगे. इसे एक संकल्प दिवस के तौर पर मनाया जाएगा.

मदद पहुंचाने वालों को रोक रही पुलिस

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने बताया कि, किसान सभी मंडियों में मार्च निकालेंगे, जिससे हमारे इस आंदोलन को और गति मिल सके. किसान नेताओं ने कहा कि हम भारत के नागरिक हैं और आंदोलन करना हमारा संवैधानिक अधिकार है. उन्होंने कहा कि हमारा आंदोलन शुरू से लेकर अब तक शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है.

किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि उनकी मदद को रोका जा रहा है. जो ट्रक लंगर लेकर आ रहे हैं और लकड़ी लेकर पहुंच रहे हैं, उन्हें सीमाओं पर रोका जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों का इस हद तक इंतेहान ना ले, इसकी भी कोई सीमा होती है. सरकार को साफ-सफाई, टेंट और टॉयलेट जैसी सुविधाओं की व्यवस्था किसानों के लिए करनी चाहिए.

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हरियाणा से आए किसान नेताओं ने कहा कि 26 जनवरी को हरियाणा के हर किसान परिवार से 1-1 किसान को पहुंचने की अपील की गई है. एनसीआर का किसान दिल्ली पहुंचेगा और बाकी राज्यों के किसान अपने जिले में ही आयोजित प्रोग्राम में हिस्सा लेंगे. हरियाणा के लगभग साढ़े 6 हजार गांवों में कृषि कानूनों को लेकर अभियान चलाया जाएगा.

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