सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी चंदा (विनियमन) कानून (FCRA) के कथित उल्लंघन के मामले में सीबीआई की अपील पर गुरुवार को गैर सरकारी संगठन लायर्स कलेक्टिव और उसकी संस्थापक सदस्य इन्दिरा जयसिंह और उनके पति आनंद ग्रोवर को नोटिस जारी किए. सीबीआई ने मुंबई हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमे इन्हें किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया गया था.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जज अनिरूद्ध बोस और जज कृष्ण मुरारी की बैंच ने दोनों वरिष्ठ अधिवक्ताओं और गैर सरकारी संगठन को नोटिस जारी किए.
हालांकि, शीर्ष अदालत ने मुंबई हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया.
सीबीआई ने गैर सरकारी संगठन लायर्स कलेक्टिव को मिले विदेशी धन के उपयोग के संबंध में आनंद ग्रोवर और गैर सरकारी संगठन के खिलाफ एफसीआरए के कथित उल्लंघन का मामला दर्ज किया था.
जांच आयोग का कहना था कि हाई कोर्ट ने आरोपी पक्षकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बारे में ऐसा कोई निष्कर्ष नहीं निकाला कि यह कानून की नजर में गलत है और न ही ऐसे किसी फैसले का हवाला दिया कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ जांच जारी रखना किस तरह से कानून के खिलाफ है.
आनंद ग्रोवर और उनकी पत्नी इन्दिरा जयसिंह ने उनके और उनकी संस्था के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द कराने के लिये जून में मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जांच ब्यूरो ने एफसीआरए के प्रावधानों के कथित उल्लंघन के बारे में गृह मंत्रालय की शिकायत पर मई महीने में यह प्राथमिकी दर्ज की थी.
इस प्राथमिकी में इन्दिरा जयसिंह का आरोपी के रूप में नाम नहीं था, लेकिन गृह मंत्रालय की शिकायत, जो प्राथमिकी का हिस्सा है, में उनके नाम का उल्लेख है और उनके खिलाफ स्पष्ट आरोप लगाये गये हैं.
सीबीआई का आरोप है कि गैर सरकारी संगठन ने 2009 से 2015 के दौरान विदेश से धन प्राप्त किया लेकिन इसके एक बड़े हिस्से की जानकारी नहीं दी. जांच ब्यूरो ने कहा कि ग्रोवर और जयसिंह ने विदेश से मिले धन का उपायोग अपने ‘निजी लाभ’ के लिए किया.
गृह मंत्रालय की शिकायत के अनुसार अतिरिक्त सालिसीटर जनरल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान भी जयसिंह गैर सरकारी संगठन से धन प्राप्त करती रहीं और यह विदेशी चंदे से मिला था.
इस मामले में हाई कोर्ट में दायर याचिका में याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि गृह मंत्रालय की शिकायत 2016 की जांच रिपोर्ट पर आधारित है जिसमे एफसीआरए के तहत जानकारी का खुलासा नही करने की एकामात्र घटना थी. जांच रिपोर्ट के बाद गृह मंत्रालय ने विदेश से धन प्राप्त करने के लिये लायर्स कलेक्टिव का पंजीकरण रद्द करने का आदेश दिया था.
हाई कोर्ट की बैंच ने याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत प्रदान करते हुये इस कथन का संज्ञान लिया कि ढाई साल पुरानी रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने की जांच ब्यूरो की कार्रवाई पर सवालों के घेरे में है.
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