सरकार नुकसान में चल रही एयर इंडिया के परिचालन से बाहर निकलने की योजना बना रही है. यह जानकारी केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दी है.
राष्ट्रीय यात्री विमानन कंपनी एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी 14 प्रतिशत रह गयी है जबकि उस पर 50,000 करोड़ रुपये का कर्ज है.
जेट एयरवेज, इंडिगो, गो एयर जैसी कई प्राइवेट विमानन कंपनियां हैं. अगर 86 फीसद विमानन बाजार प्राइवेट क्षेत्र संभाल सकता है तो वह 100 फीसद को भी चला सकता है.केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली
जेटली ने बताया, “एयर इंडिया पर 50,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, जबकि उसके विमानों का मूल्यांकन 20,000-25,000 करोड़ रुपये होगा. नागरिक विमानन मंत्रालय सभी संभावनाएं तलाश रहा है.”
नागरिक विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने इससे पहले जानकारी दी थी कि एयर इंडिया के कर्जों को कम करने की और इसमें वित्तीय बदलाव के लिए बैलेंस शीट के पुर्नगठन की तत्काल जरूरत है.
सिन्हा ने उस वक्त कहा था, “एयर इंडिया में कॉरपोरेट एडमिनिस्ट्रेशन और बेहतर मैनेजमेंट को लागू करने की भी जरूरत है. इसके अलावा यह भी देखा जाना चाहिए कि एयर इंडिया की गैर-महत्वपूर्ण संपत्तियों का किस तरह से बेहतर तरीके से इस्तेमाल में लाया जा सकता है.”
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