उत्तर प्रदेश पुलिस ने न्यूज पोर्टल 'द वायर' के फाउंडिंग एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ, गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान मारे गए एक प्रदर्शनकारी शख्स से जुड़े आर्टिकल को ट्वीट करने के मामले में FIR दर्ज की है.
वरदराजन ने मारे गए प्रदर्शनकारी शख्स नवरीत सिंह के दादा के बयान के साथ यह आर्टिकल शेयर किया था. उन्होंने लिखा था, ''ट्रैक्टर परेड में मारे गए युवा के दादा हरदीप सिंह ने सनसनीखेज आरोप लगाया- कि ऑटोप्सी का हिस्सा रहे एक डॉक्टर ने उन्हें बताया कि एक गोली इंजरी की वजह बनी थी ''लेकिन मेरे हाथ बंधे हुए हैं.''''
उनके ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए, रामपुर के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने 30 जनवरी को लिखा, "हम आपसे अनुरोध करते हैं कि कृपया केवल तथ्यों के साथ ही रहें.''
उन्होंने उन तीन डॉक्टरों की आधिकारिक घोषणा की एक कॉपी भी शेयर की, जिन्होंने नवरीत सिंह की ऑटोप्सी की थी. इस नोट में कहा गया, ‘’पोस्टमॉर्टम के पैनल में शामिल तीनों चिकित्सकों में से किसी भी चिकित्साधिकारी द्वारा मीडिया में किसी भी प्रकार का वक्तव्य/बयान जारी नहीं किया गया है.’’
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट क्या कहती है?
क्विंट को मिली पोस्टमॉर्टम की एक कॉपी के मुताबिक, नवरीत सिंह की मौत सिर की चोट की वजह से रक्तस्राव से हुई थी.
दिल्ली पुलिस ने एक वीडियो फुटेज जारी किया था, जो कथित तौर पर सिंह के ट्रैक्टर को एक बैरिकेड से टकराते और पलटते हुए दिखाता है, हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने यह आरोप लगाया कि सिंह ने गोली चलने के बाद अपने वाहन का नियंत्रण खोया था.
वरदराजन के खिलाफ कौनसी धाराएं लगाई गई हैं?
FIR की कॉपी के मुताबिक, वरदराजन के खिलाफ IPC की धारा 153-B (राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन, प्राख्यान) और 505(2) (विभिन्न वर्गों में शत्रुता, घृणा या वैमनस्य पैदा करने वाले कथन) के तहत उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में मामला दर्ज हुआ है.
न्यूज पोर्टल द प्रिंट के मुताबिक, इस FIR को रामपुर जिले के एक निवासी संजू तुराहा की शिकायत पर दर्ज किया गया है.
अपने खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद, वरदराजन ने ट्विटर पर लिखा है, "यूपी में, किसी मृत व्यक्ति के संबंधियों के बयानों को रिपोर्ट करना मीडिया के लिए एक अपराध है अगर वे मौत की वजह के पोस्टमॉर्टम या पुलिस वर्जन पर सवाल उठाते हैं.''
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