चारा घोटाला में सजा से पहले लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि राजद एकजुट है और एकजुट रहेगी. उन्होंने कहा कि लालू जी ने बिहार के लोगों ने चिट्ठी लिखी है और एकजुट रहने का संदेश दिया है. उन्होंने कहा कि एनडीए को लोग परसेप्शन बिगाड़ने की राजनीति कर रहे हैं. लेकिन हम नहीं डरेंगे. न डरे हैं न डरेंगे और अपने विचारधारा से कोई समझौता नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा, पार्टी एकजुट है और रहेगी. इस देश में आरएसएस और एनडीए को कोई चुनौती दे सकता है तो वह हैं लालू यादव. लालू यादव को फंसाया जा रहा है. लेकिन आरजेडी इससे नहीं डरेगी. हम लालू यादव का संदेश घर-घर तक पहुंचाएंगे.
इससे पहले सीबीआई जज ने चारा घोटाले में सुनवाई के दौरान आरोपियों को बारे में कहा कि इनके लिए खुली जेल ठीक रहेगी. इन्हें काऊ फार्मिंग का अनुभव है इसलिए इनके लिए खुली जेल ठीक रहेगी.
सजा के दौरान लालू को कोर्ट नहीं बुलाया गया . CBI कोर्ट के जज शिवपाल सिंह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये लालू को सजा सुनाई गई.
राबड़ी ने बुलाई इमरजेंसी बैठक
लालू को सजा से पहले उनकी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने आरजेडी की एक इमरजेंसी मीटिंग पटना में बुलाई है. इस बैठक में पार्टी के सभी सांसद, विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक और जिलाध्यक्ष शामिल होंगे. इस बैठक में लालू को सजा के बाद की रणनीति तय की जाएगी.
लालू यादव समेत 16 लोगों को सीबीआई कोर्ट ने 23 दिसंबर 2017 को दोषी करार दिया था. इसके बाद से लालू बिरसा सेंट्रल जेल में है और उन्हें कैदी नंबर 3351 मिला हुआ है.
क्या है मामला?
चारा घोटाले के कई मामलों में से यह मामला देवघर ट्रेजरी से फर्जी तरीके से 84.5 लाख रुपये निकालने का है. इस पूरे मामले में कुल 34 आरोपी थे, जिनमें से 11 की मौत हो चुकी है, जबकि एक आरोपी ने अपना गुनाह कबूल कर लिया और सीबीआई का गवाह बन गया.
इस मामले में अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, बिहार विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत सहित 7 लोगों को बरी कर दिया था.
चारा घोटाले में अजीबोगरीब आरोप
1990 के दशक के चारा घोटाले ने बिहार की राजनीति पर गहरा असर डाला. इसमें पैसे के गबन और फर्जीवाड़े के जो मामले सामने आए, वो चौंकाने वाले थे.
गाय-भैंस और सांडों की ढुलाई के नाम पर फर्जी तरीके से पैसे बनाए गए.
जिन गाड़ियों से मवेशियों की ढुलाई कागज पर दिखाई गई थी, उनमें से ज्यादातर के नंबर स्कूटर-मोटरसाइकिल के निकले.
मवेशियों की दवा के नाम पर फर्जी बिल लगाए गए.
कई दवा कंपनियों का तो कहीं कोई अता-पता नहीं था. कुछ कंपनियां थीं लेकिन उन्होंने केवल फर्जी बिल बनाए, दवा स्पलाई नहीं की.
पशुओं के चारे के नाम पर ट्रेजरी से पैसे निकाले गए.
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