जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में करीब हफ्ता भर पहले एक नौजवान फुटबॉल के मैदान से निकलकर जेहाद के रास्ते पर चल पड़ा. आतंकियों के बहकावे में आकर उसने लश्कर-ए-तैयबा का दामन थाम लिया. परिवार को पता चला तो घर में मातम पसर गया. मां-बाप ने बेटे से अपील की, कि वो ये रास्ता छोड़कर वापस लौट आए. आखिरकार, बेटे को भी बात समझ आ गई और उसने एक हफ्ते के भीतर ही सुरक्षाबलोंं के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.
जानकारी के मुताबिक, परिवार की गुहार पर फुटबॉलर माजिद खान ने गुरुवार देर रात साउथ कश्मीर के त्राल सेक्टर में 25 राष्ट्रीय राइफल्स कैंप पर सरेंडर किया है.
मां ने लगाई गुहार, ‘लौट आओ माजिद’
माजिद के आतंकी बन जाने की खबर से परिवार बहुत परेशान था. माजिद की मां आयशा बेगम का रो-रोकर बुरा हाल था. न्यूज चैनल्स पर माजिद की मां कहती हुईं नजर आईं थी, ‘बेटा एक बार घर आ जाओ, मुझे और अपने बाप का कत्ल कर दो और फिर जहां जाना है, चले जाओ.’
माजिद की बहनें भी एक सप्ताह से भाई के इंतजार में मायके में ही रुकी हुईं थी. उधर, आतंकी संगठन में शामिल होने के बाद माजिद अनंतनाग और आसपास के इलाकों में लश्कर का पोस्टर ब्वाय बन चुका था और इधर परिवार में मातम पसरा हुआ था.
‘बहकावे में चुनी आतंकवाद की राह’
महज 20 साल का माजिद खान फुटबॉल का उभरता हुआ खिलाड़ी था. अनंतनाग में उसे साउथ अफ्रीका के मशहूर क्रिकेट ‘पोलाक’ के नाम से भी जाना जाता है. हफ्ते भर पहले अचानक ही माजिद अपने घर से लापता हो गया था. घर वालों ने ढूंढ़ने की काफी कोशिश की. बाद में व्हॉट्सएप पर एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें माजिद एके-47 राइफल के साथ नजर आया. इस तस्वीर के सामने आने के बाद ही खुलासा हो सका कि माजिद ने आतंक की राह पकड़ ली है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसी साल जुलाई महीने में माजिद का दोस्त यावर निसार आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया था. इसके कुछ दिनों बाद ही यावर 3 अगस्त को सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया था.
परिवार के मुताबिक, ‘माजिद बाजार में एक दुकानदार को मोटरसाइकिल और उसकी चाबी देने के बाद गायब हो गया था. वह आतंकी नहीं बन सकता, जरूर किसी ने उसे बरगलाया है.’ माजिद 9वीं क्लास से ही स्थानीय फुटबॉल क्लब का नियमित सदस्य था.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)