विपक्षी सदस्यों के शोर शराबे के बीच भारत के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने गुरुवार को राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली. इस दौरान विपक्ष ने भारी हंगामा किया और फिर सदन से वॉकआउट कर गए.
गुरुवार को राजयसभा की कार्यवाही शुरू होने पर गोगोई जैसे ही शपथ लेने निर्धारित जगह पर पहुंचे, वैसे ही विपक्षी सदस्यों ने शोर शराबा शुरू कर दिया. इस पर राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि ऐसा व्यवहार सदस्यों की मर्यादा के अनुरूप नहीं है. इसके बाद गोगोई ने सदन के सदस्य के रूप में शपथ ली. इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया.
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को हाल ही में राष्ट्रपति ने राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनित किया था.
गोगोई ने पांच जजों की बैंच का नेतृत्व करते हुए चीफ जस्टिस के पद से रिटायर होने से एक दिन पहले 70 साल पुराने अयोध्या मसले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था.
कपिल सिब्बल बोले- कांग्रेस की गलतियों को न दोहराए मौजूदा सरकार
देश के पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल ने पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने संदेश दिया है कि जो उसके साथ है वह राज्यसभा तक जा सकता है और जो साथ नहीं है तो उसका तबादला हो सकता है या फिर जांच बैठ सकती है. जस्टिस गोगोई का राज्यसभा जाना गलत है तो फिर सिख दंगों की जांच करने वाले जस्टिस रंगनाथ मिश्रा का जाना सही कैसे है? इस सवाल पर सिब्बल ने कहा, "सरकारें बदलती क्यों हैं? पिछली सरकारों की गलतियों की वजह से ही नई सरकार आती हैं. लेकिन उन्हें गलती नहीं दोहरानी चाहिए."
गोगोई के राज्यसभा जाने को लेकर SC पहुंचीं मधु किश्वर
सामाजिक कार्यकर्ता मधु किश्वर ने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के राज्यसभा नामांकन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. पीएम मोदी की बड़ी समर्थक मधु किश्वर ने इस फैसले को पीएम की बड़ी गड़बड़ी बताया. उन्होंने कहा कि ये न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अखंडता की लक्ष्मण रेखा को लांघने जैसा है. मधु किश्वर ने अपनी याचिका में रंजन गोगोई के राज्यसभा के सदस्य के रूप में नियुक्ति वाले आदेश पर रोक लगाने और हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए पांच साल के कूलिंग-ऑफ पीरियड की मांग की है.
किश्वर ने याचिका में कहा है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों को सरकार, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, एमपी और विधायकों के किसी पद पर नियुक्त करने से पहले पांच साल के कूलिंग-ऑफ पीरियड को लेकर आदेश पास किया जाना चाहिए.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)