भारतीय संसद पर हुए आतंकवादी हमले में बरी हो चुके और दिल्ली यूनिवर्सिटी के जाकिर हुसैन कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर एस.ए.आर. गिलानी का गुरुवार को दिल्ली में निधन हो गया. प्रोफेसर गिलानी के निधन की वजह दिल का दौरा बताई गई है. प्रोफेसर गिलानी जाकिर हुसैन कॉलेज में अरबी भाषा पढ़ाते थे. गिलानी के परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं. पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक, प्रोफेसर गिलानी का निधन गुरुवार को शाम के वक्त हुआ.
कई साल तिहाड़ जेल में बंद रहे
गिलानी का नाम देश और दुनिया की जुबान पर उस वक्त चढ़ गया था, जब 13 दिसंबर, 2001 को भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले में उनका नाम सामने आया. गिलानी को संसद पर हमले के आरोप में गिरफ्तार कर कई साल तिहाड़ जेल में भी बंद रखा गया था. कई साल चले मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था. उसके बाद उन्होंने जाकिर हुसैन कॉलेज को भी अलविदा कह दिया था.
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2004 में हुआ था जानलेवा हमला
संसद पर हमले के आरोपी बनाए गए प्रोफेसर गिलानी के खिलाफ बाद में दिल्ली में भी देशद्रोह का एक मामला दर्ज किया गया था. 10 फरवरी, 2016 को दर्ज उस मामले में प्रोफेसर गिलानी पर आरोप लगा था कि उन्होंने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक श्रद्धांजलि सभा में देश विरोधी नारेबाजी की.
यह श्रद्धांजलि सभा संसद पर हमले के मुख्य आरोपी (जिसे बाद में फांसी दे दी गई) अफजल गुरु की बरसी के मौके पर आयोजित की गई थी. जबकि इस घटना से कुछ साल पहले फरवरी, 2004 में प्रोफेसर गिलानी पर गोलियां भी चलाई गई थीं. जानलेवा हमले की उस वारदात को प्रोफेसर गिलानी की वकील रही नंदिता हक्सर के घर के पास अंजाम दिया गया था. उस हमले के बाद लंबे समय तक प्रोफेसर गिलानी को कड़ी सुरक्षा भी मुहैया कराई गई थी.
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में गुरुवार को निधन हो जाने के बाद प्रोफेसर गिलानी के शव को कश्मीर घाटी (संभवतया श्रीनगर) ले जाने की तैयारी थी. हालांकि इस तथ्य की पुष्टि नहीं हो सकी है.
प्रोफेसर गिलानी के निधन के बाद पत्रकारों ने दिल्ली की तिहाड़ जेल में फोन लगाना शुरू कर दिया. कई पत्रकार प्रोफेसर गिलानी को दूसरा 'गिलानी' समझ बैठे. हालांकि गुरुवार देर रात तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने तिहाड़ में बंद किसी भी गिलानी के निधन की बात से इनकार किया.
(इनपुट: IANS)
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