आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर को मुंबई की स्पेशल कोर्ट से जमानत मिल गई है. चंदा कोचर आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुंबई की विशेष पीएमएलए अदालत में पेश हुईं.
बता दें कि साल 2009 में चंदा कोचर ने आईसीआईसीआई सीईओ का पदभार संभाला था. 2011 में उन्हें पद्मभूषण से नवाजा गया. फिर आरोपों की जद में आ कोचर ने साल 2018 में अपना पद छोड़ दिया.
इस मामले में मुख्य आरोप है कि 1 मई 2009 को आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ बनने के बाद चंदा कोचर ने अनियमित तरीके से वीडियोकॉन ग्रुप के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत की कंपनियों के लिए लोन मंजूर कराए थे, जबकि धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को उनके बिजनेस में फायदा पहुंचाया था.
सीबीआई ने इस आरोप पर प्रारंभिक जांच की थी कि बैंक से, निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन करते हुए वीडियोकॉन समूह से जुड़ी कंपनियों को 3,250 करोड़ रुपये के लोन दिए गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स में संबंधित अधिकारियों से हवाले से बताया गया कि प्रारंभिक जांच के दौरान, वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन समूह के साथ जुड़ी चार अन्य कंपनियों को जून, 2009 से अक्टूबर 2011 के बीच 1,875 करोड़ रुपये के 6 लोन को मंजूरी देने में कथित अनियमितताओं का पता चला.
चंदा कोचर के खिलाफ आरोपों की जांच करने वाली जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा समिति ने पाया था कि वीडियोकोन को लोन देने के मामले में उन्होंने हितों के टकराव को लेकर और जिम्मेदारियों को निभाने के समय बैंक की आचार संहिता का उल्लंघन किया. इस लोन का कुछ हिस्सा उनके पति दीपक के स्वामित्व वाली कंपनी को दिया गया.
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