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‘वर्जिनिटी टेस्ट’ में फेल हुई पत्नी, पंचायत ने तुड़वाई शादी

शादी टूटने से परेशान लड़की के सपोर्ट में कई सोशल एक्टिविस्ट आए.

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महाराष्ट्र के नासिक जिले में शादी के 48 घंटे बाद एक शख्स ने शादी तोड़ दी. उसने वर्जिनिटी टेस्ट में पत्नी के फेल होने का आरोप लगाया. घटना पिछले महीने की है. पीड़ित महिला अहमदनगर की है जो, पुलिस बल में शामिल होने की तैयारी कर रही है. उसकी शादी नासिक के एक 25 वर्षीय व्यक्ति से हुई थी.

पति ने पहली ही रात अपनी शादी तोड़ दी क्योंकि सेक्स के बाद सफेद चादर पर लड़की के खून के निशान नहीं मिले. ऐसा करने को गांव के पंचायत ने उस लड़के से कहा था. उसके बाद उसने लड़की को अपनी पत्नी मानने से इन्कार कर दिया.

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पिता ने लड़की को पुलिस कंप्लेन से रोका

लड़की ने जब पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की तो उसके पिता ने उसे उसकी मां के साथ घर में बंद कर दिया. उन्होंने पंचायत के डर से उसका मोबाइल फोन भी छीन लिया.

कृष्ण चंदगुड़े, महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के कार्यकर्ता ने कहा कि वह लड़की के घर गए थे. उन्होंने लड़की के माता पिता से बात की. और उसके पिता को पुलिस के पास शिकायत दर्ज करने के लिए समझाने की भी कोशिश की.

ये कैसी बकवास प्रथा?

लड़की और आदमी ‘कंजरभात’ समुदाय से आते हैं. इस समुदाय का अपना ‘संविधान’ है जिसका कड़ाई से पालन किया जाता है. बताया जाता है कि समुदाय पंचायत के सदस्य शादी के बाद बाहर इंतजार कर रहे थे.

पंचायत ने दूल्हे को एक सफेद रंग की चादर दी थी. दूल्हे से कहा गया था कि शादी की सारी रस्में पूरी होने के बाद चादर वो पंचायत को वापस लौटा दे. जब दूल्हे ने पंचायत को वह बेडशीट दिखाई तो उस पर ब्लड के निशान नहीं थे.

औरत कुंवारी है इस बात को साबित करने के लिए उस समुदाय के लिए यह ‘टेस्ट’ काफी मायने रखता है.

महिला आयोग ने की जांच की मांग

महाराष्ट्र महिला आयोग ने नासिक पुलिस से कहा है कि वह कथित ‘कौमार्य परीक्षण’ प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट तैयार करे. आयोग के अध्यक्ष विजया रहतकर ने कहा है कि उन्होंने नासिक पुलिस आयुक्त से बात कर घटना की गहराई से जांच करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है. महिलाओं के पैनल ने रिपोर्टों के आधार पर मामले में हस्तक्षेप किया है.

समिति के कार्यकारी अध्यक्ष अविनाश पाटिल ने कहा कि महाराष्ट्र सामाजिक बहिष्कार और विसंगत न्याय वाली ऐसी पंचायतों के खिलाफ कानून पारित करने वाला पहला राज्य था. सामाजिक बहिष्कार और महाराष्ट्र के लोगों के संरक्षण (रोकथाम, निषेध और निवारण) का यह अधिनियम, अब भी राष्ट्रपति से मंजूरी के इंतजार में है.

उन्होंने कहा कि अगर इसे लागू किया जाता है, तो इस तरह के रिवाजों से छुटकारा मिलेगा.

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