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बुलेट ट्रेन के लिए अपनी जमीन देने को तैयार नहीं गोदरेज ग्रुप

गोदरेज को क्यों है जमीन देने से एतराज

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प्रधानमंत्री मोदी के बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए गोदरेज ग्रुप अपनी जमीन देने को तैयार नहीं. गोदरेज ग्रुप ने जमीन अधिग्रहण के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी भी लगा दी है.

अभी तक महाराष्ट्र- किसान और आदिवासी समूह ही मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के लिए जमीन देने को तैयार नहीं थे, पर शायद बुलेट ट्रेन के लिए किसी इंडस्ट्री वाले की की तरफ से एतराज का शायद ये पहला मामला है. गोदरेज समूह ने अदालत में कहा है कि बुलेट ट्रेन के ट्रैक की डिजाइन बदल दी जाए ताकि उसकी जमीन बच जाए.

गोदरेज ग्रुप की मुंबई के ठाणे-विक्रोली इलाके में करोड़ों की सैकड़ों एकड़ जमीन है. बुलेट ट्रेन के रास्ते में इस जमीन का कुछ हिस्सा पड़ रहा है. हालांकि नेशनल हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन ने साफ कर दिया है कि अब डिजाइन नहीं बदलने की गुंजाइश नहीं है.

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कीमती जमीन नहीं देना चाहता गोदरेज ग्रुप

मुंबई से अहमदाबाद तक 508 किलोमीटर लंबे बुलेट ट्रेन कॉरिडोर का 155 किलोमीटर हिस्सा महाराष्ट्र से निकलना है. इसमें 40 किलोमीटर का हिस्सा ठाणे जिले से है. जबकि 7 किलोमीटर मुंबई में पड़ेगा. इसके अलावा पालघर जिले से 109 किलोमीटर का ट्रैक निकलेगा.

गोदरेज ग्रुप ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी लगाकर विक्रोली इलाके में अपनी जमीन के अधिग्रहण को चुनौती दी है. इसमें अनुरोध किया गया है कि ट्रेन के रास्ते में इस तरह बदलाव किया जाए कि उसकी जमीन के अधिग्रहण की जरूरत ना पड़े. रेल कॉरपोरेशन गोदरेज ग्रुप की विक्रोली इलाके की करीब 8.5 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करना चाहता है मौजूदा बाजार भाव के हिसाब से जिसकी कीमत 500 करोड़ रुपए है.

वैसे गोदरेज बॉयस ग्रुप के पास मुंबई-ठाणे के विक्रोली, कुर्ला और नाहुर इलाके में करीब 3400 एकड़ जमीन है. हालांकि इसका कुछ हिस्सा मैंग्रोव वाला है.

गोदरेज को क्यों है जमीन देने से एतराज
गोदरेज की अधिग्रहण की जाने वाली जमीन (काले गोले में) 
(फोटो: नेशनल हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन)
नेशनल हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन के अधिकारी के मुताबिक बॉम्बेहाईकोर्ट ने 45 दिन के लिए जमीन अधिग्रहण में रोक लगा दी है. कोर्ट ने गोदरेज और रेलकॉरपोरेशन को बातचीत करके हल निकालने को कहा है.

गोदरेज ग्रुप ने ब्लूमबर्गक्विंट की तरफ से भेजे गए मेल का कोई जवाब नहीं दिया.

जमीन अटकी तो कैसे चलेगी ट्रेन

करीब सवा लाख करोड़ रुपए बुलेट ट्रेन का प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है और वो 2022 तक इसे हकीकत के तौर पर देखना चाहते हैं. इसलिए अधिकारियों से जमीन अधिग्रहण पर एक्शन तेज करने को कहा गया है.

अब तक गुजरात के किसान और महाराष्ट्र के आदिवासियों की तरफ से जमकर जमीन अधिग्रहण का विरोध हो रहा है. लेकिन ये पहला मौका है जब किसी बड़े औद्योगिक समूह ने इस पर ऐतराज उठाते हुए जमीन अधिग्रहण के खिलाफ अदालत में अर्जी लगा दी है.

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गोदरेज ग्रुप की मांग बुलेट ट्रेन का रास्ता बदले

बुलेट ट्रेन मुंबई के बांद्रा-कुर्ला टर्मिनस से शुरू होगी और घाटकोपर, विक्रोली होते हुए ठाणे खाड़ी तक 21 किलोमीटर अंडरग्राउंड चलेगी. इसके बाद का ट्रैक जमीन के ऊपर होगा.

गोदरेज ग्रुप की मांग है कि घाटकोपर से विक्रोली के बीच ट्रेन के रास्ते में बदलाव किया जाए ताकि उसकी 3.5 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण से बच जाए. मौजूदा बाजार भाव के हिसाब से इस जमीन का दाम करीब 500 करोड़ रुपए है. 

‘बुलेट ट्रेन की लाइन का रास्ता नहीं बदलेंगे’

नेशनल हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन के अधिकारी ने ब्लूमबर्गक्विंट से साफ कर दिया है कि रास्ते में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.

रेल कॉरपोरेशन के अधिकारी के मुताबिक रास्ते का डिजाइन तैयार हो चुका है इसलिए अब इसमें बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है. अधिक से अधिक हम टनल की एंट्री 50-100 मीटर आगे पीछे कर सकते हैं इससे ज्यादा नहीं.

बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार ने एक दिन पहले ही गोदरेज ग्रुप के अदालत में अर्जी लगाने की खबर का खुलासा किया था.

महाराष्ट्र में भी विरोध

508 किलोमीटर लंबे बुलेट ट्रैक का करीब 150 किलोमीटर हिस्सा महाराष्ट्र से निकलना है, इसमें अभी तक एक हेक्टेयर का भी अधिग्रहण नहीं हुआ है.

कॉरपोरेशन के मुताबिक अगले 6 महीनों में हम महाराष्ट्र में टेंडर निकालेंगे. महाराष्ट्र में इस प्रोजेक्ट के 4 हिस्सों होंगे. हर हिस्से की लागत करीब 3000 करोड़ रुपए होगी. हमें उम्मीद है कि प्रोजेक्ट 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा.

सितंबर 2017 में प्रधानमंत्री मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने अहमदाबाद में इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी और इसे 5 साल में यानी 2022 तक पूरा किया जाने का लक्ष्य है.

महाराष्ट्र में पालघर के 28 गांव और दहाणू जिले के 16 गांवों में प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध हो रहा है. इसी तरह गुजरात में भी किसानों के समूह विरोध कर रहे हैं. चार किसानों ने तो गुजरात हाईकोर्ट में अर्जी भी लगाई है.

(इनपुट ब्लूमबर्ग क्विंट)

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