"9 महीने बाद जब मैं जेल से घर वापस आया, तो मेरी बेटी मुझे पहचान न सकी.. 29 अप्रैल 2018 की सुबह मेरी बेटी सुबह उठी, तो मुझे देखकर चिल्लाने लगी." ये दर्द है गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के ‘ऑक्सीजन कांड’ में आरोपों से मुक्त हो चुके डॉ कफील खान का.
डॉ कफील खान मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 60 बच्चों की मौत के आरोप में नौ महीने तक जेल में रहे. अब उन्हें तीन आरोपों से मुक्त कर दिया गया है. जेल से बाहर आकर कफील खान ने मीडिया से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई देने से लेकर निजी जिंदगी तक के बारे में जिक्र किया.
डॉ ने कहा, "मेरी बच्ची 10 महीने की थी, जब मैं जेल गया था. 9 महीने बाद जब जेल से वापस आया, तो वह दौड़ती थी, चलती थी. पापा बुलाती थी, लेकिन पापा का मतलब जानती नहीं थी."
मैं जब मेडिकल कॉलेज में पढ़ता था, तब डॉ कहते थे कि तुम पिता बनने के बाद माइलस्टोन का मतलब समझोगे. यानी बच्चा कब पहली बार चला, कब दौड़ा, कब बोला.. ये सब. अब ये सबकुछ कोई मुझे वापस नहीं दे सकता.डॉ कफील खान
डॉ कफील खान ने यूपी सरकार के सामने तीन मांगे भी रखी हैं. ये तीन मांगे हैं-
- मेरी नौकरी इज्जत के साथ वापस की जाए
- सीबीआई इंक्वायरी या कोर्ट मॉनिटर इंक्वायरी यूपी से बाहर की जाए, ताकी बीआरडी मेडिकल कॉलेज के असली गुनहगारों को पकड़ा जाए
- बीआरडी कॉलेज में मारे गए बच्चों के परिवार से यूपी सरकार पब्लिकली माफी मांगे और उनको मुआवजा दें
"मैं खुश हूं"
डॉ कफील खान ने जेल से बाहर आकर खुशी भी जताई है. उन्होंने कहा, "मैं खुश हूं. मेरे पर जो मर्डर, कातिल का टैग लगा था. वो अब हट गया है. इसलिए खुश हूं."
खान ने कहा कि भ्रष्टाचार जैसे तीन आरोप उनपर से हटा दिए गए हैं. लेकिन अभी भी एक आरोप उनपर लगा हुआ है. ये आरोप है- 8 अगस्त 2016 से पहले कफील खान प्राइवेट प्रेक्टिस करते थे. इस आरोप पर खान का कहना है कि 8 अगस्त 2016 को उन्होंने यूपी सरकार की नौकरी ज्वाइन की है, तो इससे पहले वो क्या करते थे इससे सरकार को क्या मतलब.
इसके अलावा डॉ खान ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत के लिए उस वक्त के हेल्थ मिनिस्टर और डीजीएमई को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा, उस वक्त के हेल्थ मिनिस्टर और डीजीएमई डॉ केके गुप्ता ने पुष्पा सेल के 14 लेटर पर कार्रवाई नहीं की. ये लोग मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के असली जिम्मेदार हैं.
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