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भंग करने के बाद दोबारा बनी #MeToo के लिए मंत्रियों की कमेटी

गृह मंत्री अमित शाह ने राजनाथ सिंह की जगह ली है, जो कमेटी के नेतृत्व की जिम्मेदारी संभालेंगे.

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सरकार ने वर्क प्लेस पर सेक्सुअल हैरासमेंट को रोकने और कानूनी ढांचे को मजबूत करने के मुद्दों को देखने वाले मंत्रियों के समूह (GoM) का दोबारा गठन किया है. गृह मंत्री अमित शाह ने राजनाथ सिंह की जगह ली है, जो कमेटी के नेतृत्व की जिम्मेदारी संभालेंगे. अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि पुनर्गठित मंत्रियों के कमेटी के अन्य सदस्यों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी शामिल हैं.

इससे पहले द क्विंट के आरटीआई अप्लीकेशन से पता चला था कि मंत्रियों की यह कमेटी भंग कर दी गई है.

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मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा पिछली सरकार में इस मुद्दे पर गठित मंत्रियों की कमेटी में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी और नितिन गडकरी शामिल थे. मंत्रियों के कमेटी का गठन अक्टूबर 2018 में वर्क प्लेस पर यौन उत्पीड़न को रोकने और उससे निपटने के लिए कानूनी और सांस्थानिक ढांचे को मजबूत करने के वास्ते सिफारिश करना है.

‘‘चुनाव के बाद नयी सरकार के गठन के साथ ही मंत्रियों के कमेटी ने पक्षकारों के साथ विचार-विमर्श किया और वह उनसे मिले कई सुझावों पर विचार कर रही है.’’
- गृह मंत्रालय के एक अधिकारी  

द क्विंट के RTI अप्लीकेशन से हुआ था खुलासा

कमेटी को बने नौ महीने हो चुके हैं. इसके तीन महीने बाद इन्हें सिफारिशें सौंपनी थीं. इस बीच यौन प्रताड़ना के खिलाफ सोशल मीडिया पर महिलाओं के खुलासे भी कम हो गए हैं. इसे देखते हुए क्विंट ने महिलाओं के खिलाफ यौन प्रताड़ना के मामले में कड़े कानूनी प्रावधान सुझाने वाली कमेटी के योगदान के बारे में जानना चाहा. इसके लिए द क्विंट आरटीआई के तहत आवेदन दिया था. लेकिन आरटीआई अप्लीकेशन से पता चला कि मंत्रियों की यह कमेटी चुपचाप भंग कर दी गई है.

द क्विंट ने मीटू आंदोलन से जुड़ी कुछ महिलाओं से बात की तो उन्होंने कहा कि एमजे अकबर के मामले के बाद सरकार ने जो तेजी अक्टूबर 2018 में कमेटी का गठन करके दिखाई थी,इससे उनमें काफी उम्मीदें बंधी थीं. लेकिन कमेटी भंग करने से वे निराश और गुस्से में हैं.

द क्विंट ने किए थे ये चार सवाल

द क्विंट ने गृह मंत्रालय में आरटीआई आवेदन दिया था, जिसके तहत यह कमेटी गठित हुई थी. द क्विंट की ओर से चार सवाल किए गए थे

  • कृपया बताएं कि 24 अक्टूबर से 2018 से मंत्रियों के समूह की कितनी बैठकें हुईं?
  • 24 अक्टूबर 2018 से हुई बैठकों की तारीखों के बारे में बताएं?
  • हर मीटिंग के मिनट्स मुहैया कराएं जाएं.
  • तीन महीने के अंदर जो सिफारिशें सौंपी जानी थीं उनकी एक कॉपी मुहैया कराई जाए.
  • इसके जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा कि यह कमेटी भंग कर दी गई है.

गृह मंत्रालय के जवाब में कहा गया-

आपको यह सूचित किया जाता है कि 17वीं लोकसभा और नई सरकार के गठन के साथ ही अब यह कमेटी अस्तित्व में नहीं है.

सरकार की ओर से कहा गया है कि जो जानकारी मांगी गई है वह आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 8 (i) के तहत खुलासे के दायरे में नहीं आती है. मांगी गई जानकारी मंत्रियों के समूह की बैठकों के संबंध में लागू होती है.

(इनपुट - भाषा)

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