वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों की ओर से आपत्ति उठाए जाने के बाद, सरकार ने नवंबर 2020 के उस आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें "अंतरराष्ट्रीय" भागीदारी के साथ ऑनलाइन सम्मेलनों या सेमिनारों के आयोजन के लिए पहले से राजनीतिक मंजूरी की जरूरत होती थी. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है.
इस मामले पर विदेश मंत्रालय के नए आदेश में कहा गया है, ''भारत सरकार और राज्य सरकारों की ओर से यात्रा और लोगों के जुटने पर प्रतिबंधों में ढील देने के मद्देनजर, COVID-19 महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों/सेमिनार/प्रशिक्षण आदि के लिए राजनीतिक मंजूरी के बारे में 25 नवंबर को जारी किए गए दिशा-निर्देश अब लागू नहीं हैं.''
हालांकि, नए आदेश में कहा गया है कि महामारी से पहले वाले नियमों का इन इवेंट्स पर लागू रहना जारी रहेगा.
विदेश मंत्रालय के 25 नवंबर 2020 के आदेश को इस साल 15 जनवरी को शिक्षा मंत्रालय ने भी दोहराया था, जब उसने सभी सरकारी संस्थानों, जिसमें सरकारी फंडिंग वाले संस्थान भी शामिल थे, से ऑनलाइन इवेंट आयोजित करने के लिए पहले से "प्रशासनिक सचिव" से अनुमति लेने के लिए कहा था.
इसके बाद देश की शीर्ष विज्ञान अकादमियों में से 2 ने, जो 1500 से ज्यादा वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों का प्रतिनिधित्व करती हैं, इस निर्देश पर चिंता जाहिर की थी, और शिक्षा मंत्री को लिखा था कि इस निर्देश से किसी भी खुली वैज्ञानिक चर्चा का संचालन करना मुश्किल होगा.
सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के विजय राघवन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सचिव आशुतोष शर्मा ने रविवार को इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि वैज्ञानिकों की ओर से जताई गई चिंता पर ध्यान दिया जा रहा है, और आदेश में संशोधन की उम्मीद की जा सकती है.
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