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मैं CJI के रिश्तेदार का फ्रेंड नहीं,झूठ हो तो फांसी दे दो: उत्सव 

उत्सव बैंस ने कहा, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई से कोई रिश्ता नहीं, साबित हो जाए तो फांसी दे दो 

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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को सेक्सुअल हैरेसमेंट के केस में फंसाने के लिए डेढ़ करोड़ रुपये का ऑफर मिलने का दावा करने वाले उत्सव बैंस ने कहा है कि वो उनके करीबी रिश्तेदार के दोस्त या परिचित नहीं हैं. उत्सव ने क्विंट से कहा कि अगर उनका दावा गलत निकलता है तो उन्हें फांसी दे दी जाए.

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द क्विंट को कुछ वकीलों से पता चला था कि उत्सव बैंस, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के करीबी रिश्तेदार के दोस्त या परिचित हैं. जब द क्विंट ने बैंस से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा

अगर पूरी दुनिया में कोई साबित कर दे, मेरा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के रिश्तेदार से संबंध है तो मैं झूठ बोलने के अपराध में सुप्रीम कोर्ट के बाहर फांसी चढ़ाया जाना मंजूर कर लूंगा. मैं सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस छोड़ने को तैयार हूं. 
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उत्सव बैंस की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं कई वकील

वकीलों के बीच इस बात पर अचरज जताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में कई सीनियर वकील मौजूद हैं, इसके बावजूद यौन उत्पीड़न केस में पीड़िता का पक्ष रखने के लिए उत्सव को क्यों अप्रोच किया गया. सुप्रीम कोर्ट में कई ऐसी सीनियर वकील हैं जो बगैर फीस के पीड़िता का केस लड़ सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकीलों ने कहा कि उत्सव को किसी ने भी सुप्रीम कोर्ट में कोई केस लड़ते नहीं देखा. फिर पीड़िता का बचाव करने के लिए उसे ही क्यों चुना गया. इतना ही नहीं उत्सव से संपर्क करने वाले शख्स ने डेढ़ करोड़ रुपये का ऑफर भी दिया.

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इस मामले में द क्विंट ने सुप्रीम कोर्ट की वकील कामिनी जायसवाल से बात की. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में उत्सव के एक केस को रिप्रजेंट किया था. उन्होंने कहा,

हमें बड़ा अचरज हो रहा है कि उत्सव, सुप्रीम कोर्ट में रेगुलर नहीं हैं. फिर भी उन्हें संबंधित पक्ष ने अप्रोच किया. सुप्रीम कोर्ट में ऐसे वकील हैं जो ज्यूडिशियरी के हितों के लिए लड़ रहे हैं. कई वकीलों ने इसकी आजादी का सवाल उठाया है. 

कौन हैं उत्सव बैंस ?

1987 में जन्मे उत्सव बैंस ने 2011 में पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से लॉ किया. इसके बाद उन्होंने सीनियर वकील हर्ष मंदर के साथ दिल्ली में काम किया. फिर उन्होंने नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स में बतौर कंस्लटेंट काम किया. 2011 में वह अपने होमटाउन लौट गए लेकिन बच्चों के लिए काम करने की इच्छा की वजह से वहां काम नहीं किया, 2012 में बच्चों के लिए चल रहे सरकारी शेल्टर होम्स में उनकी खराब स्थिति के बारे में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की. इस मामले में हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था. बैंस 2013-14 में हावर्ड लॉ स्कूल के चाइल्ड एडवोकेसी प्रोग्राम में विजिंटिंग रिसर्चर थे.

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