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धर्मांतरण-विरोधी बिल लाएगा हरियाणा, किन राज्यों में पहले से मौजूद?

आगामी बजट सत्र में बिल पेश करेगी हरियाणा सरकार

Published
भारत
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एक और बीजेपी शासित राज्य धर्मांतरण विरोधी कानून लाने जा रही है. हरियाणा भी 'जबरदस्ती और फर्जी तरीकों' से धर्म परिवर्तन रोकने के लिए आगामी बजट सत्र में बिल पेश करेगा. राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने 25 फरवरी को इस बात का ऐलान किया.

विज ने हाल ही में बिल का ड्राफ्ट बनाने के लिए बनाई गई कमेटी की एक बैठक की थी. गृह मंत्री अनिल विज ने कहा, "इस कानून के बनने से ताकत, प्रलोभन, शादी का झांसा या किसी अनैतिक तरीके से धर्म परिवर्तन की कोशिश रोकी जा सकेगी."

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“हमने फर्जी तरीकों और ताकत से धर्मांतरण के खिलाफ एक बिल का ड्राफ्ट बनाया है और इसे विधानसभा के आगमी बजट सत्र में पेश किया जाएगा.” 
अनिल विज ने मीडिया को बताया  

विज ने पहले बताया था कि बिल के लिए बनाई गई 'ड्राफ्टिंग कमेटी' में गृह सचिव टीएल सत्यप्रकाश, एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस नवदीप सिंह विर्क और एडिशनल एडवोकेट जनरल दीपक मनचंदा शामिल हैं.

पिछले साल नवंबर में अनिल विज ने 'लव जिहाद' के खिलाफ एक बिल बनाने के लिए तीन-सदस्यों की एक कमेटी के गठन का ऐलान किया था. बीजेपी नेता शादी के लिए धर्म परिवर्तन के मामलों को 'लव जिहाद' बताते आए हैं.

विज का ये ऐलान उत्तर प्रदेश सरकार के धर्मांतरण रोकने वाले ड्राफ्ट ऑर्डिनेंस को मंजूरी देने के कुछ दिन बाद आया था.  
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और किन बीजेपी राज्यों में ऐसा कानून है?

हरियाणा धर्मांतरण-विरोधी कानून बनाने वाला चौथा बीजेपी शासित प्रदेश बन जाएगा. इससे पहले उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में ऐसा ही कानून बनाया जा चुका है. यूपी के कानून पर अभी इलाहबाद हाई कोर्ट में सुनवाई भी चल रही है.

उत्तर प्रदेश

यूपी का कानून धर्म परिवर्तन पर रोक इन आधारों पर लगाता है, जिनमें- जबरन धर्म परिवर्तन, बहकाना, गलत तरीके से राजी करना और लालच देना, धोखाधड़ी करके धर्म बदलवाना और शादी करके धर्म परिवर्तन शामिल है. ये कानून धर्म परिवर्तन के लिए किसी का साथ देने, उसे इसके लिए मनाने या फिर इसकी साजिश रचने से भी रोकता है. ये कानून अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन के लिए इजाजत भी देता है, इसके लिए उचित अधिकारी को प्रमाणित करने का अधिकार दिया गया है. हालांकि धर्म परिवर्तन करने वाला शख्स कभी भी अपने पुराने धर्म को अपना सकता है.

इस कानून के मुताबिक अगर कोई शादी धर्म परिवर्तन के ही इरादे से या गैरकानूनी तरीके से धर्मांतरण के लिए की गई हो तो उसे तुरंत रद्द किया जा सकता है. शादी की मान्यता तुरंत खत्म हो जाएगी. लेकिन अगर कानून के मुताबिक प्रक्रिया के आधार पर धर्म परिवर्तन होता है तो ऐसी शादी को मंजूरी दी जाएगी.

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मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता कानून शादी या किसी बाकी कपटपूर्ण तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में अधिकतम 10 साल की कैद और 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान करता है.

ये कानून अध्यादेश के जरिए प्रदेश में लागू हुआ था. इसके मुताबिक, ‘‘जबरन, भयपूर्वक, डरा- धमका कर, प्रलोभन देकर, बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन करवा कर शादी करने और करवाने वाले व्यक्ति, संस्था अथवा स्वयंसेवी संस्था की शिकायत मिलते ही तत्काल अध्यादेश में किए गए प्रावधानों के मुताबिक संबंधितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.’’

हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश में 'ताकत या फ्रॉड से धर्म परिवर्तन' रोकने के लिए 2007 में एक कानून बनाया गया था. हालांकि, 2019 में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस कानून को एक कड़े रूप में पेश किया था.

कानून के मुताबिक, "कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे का धर्म परिवर्तन करने या इसकी कोशिश ताकत, प्रलोभन, प्रभाव डालकर, किसी फर्जी तरीके या शादी से नहीं करेगा और न ही कोई व्यक्ति ऐसा करने के लिए उकसाएगा या साजिश करेगा." ये कानून लोगों के वापस अपने 'पुराने धर्म' में जाने को लेकर कुछ नहीं कहता है.

कानून कहता है कि धर्म परिवर्तन के इरादे से की गई कोई भी शादी कोर्ट अमान्य करार दे सकता है.

कर्नाटक और गुजरात की बीजेपी सरकारें भी धर्मांतरण-विरोधी कानून लाने की तैयारी में हैं. कर्नाटक ने अपने कानून को आखिरी स्वरुप दे दिया है. वहीं, गुजरात अभी यूपी और एमपी के कानूनों का अध्ययन कर रहा है.

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