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चलती बस में स्मोकिंग कर रहा था ड्राइवर, हरियाणा परिवहन पर 80 हजार का फाइन

धूम्रपान करने वाले के आसपास होने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी समान रूप से धूम्रपान का प्रभाव पड़ सकता है- पीठ

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हरियाणा परिवहन के एक ड्राइवर पर 200 रुपए का जुर्माना लगा है और मामला इससे भी बड़ा हो गया है. यह ड्राइवर बस चलाने के दौरान धूम्रपान करता हुआ पाया गया जिसके बाद उसकी शिकायत दर्ज की गई.

राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने हरियाणा के एक निवासी की चार अपीलों को स्वीकार करते हुए और हरियाणा राज्य परिवहन के महानिदेशक और हरियाणा स्वास्थ्य विभाग के वित्तीय आयुक्त को चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर (अस्पताल) को 80,000 रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया है.

आयोग ने कहा, धूम्रपान करने वाले के आसपास होने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी समान रूप से धूम्रपान का प्रभाव पड़ सकता है इसलिए ये भुगतान जायज है.

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क्या है पूरा मामला?

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक हिसार के अशोक कुमार प्रजापत ने शिकायत की थी कि हरियाणा परिवहन का एक ड्राइवर धूम्रपान कर रहा था. प्रजापत ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि इस घटना ने उन्हें असहज कर दिया. उन्होंने ड्राइवर से धूम्रपान बंद करने का अनुरोध किया क्योंकि यह सार्वजनिक स्थानों और परिवहन में प्रतिबंधित है. चालक ने धूम्रपान बंद कर दिया और कंडक्टर ने आश्वासन दिया कि वह भविष्य में चालक को बस में धूम्रपान नहीं करने देगा.

इसके बाद मामले को उच्च अधिकारियों के सामने उठाया गया, जिन्होंने जांच करने के बाद चालक पर केवल 200 रुपए का जुर्माना लगाया. प्रजापत की चंडीगढ़ उपभोक्ता आयोग में शिकायत खारिज होने के बाद उन्होंने राज्य आयोग में अपील दायर की.

आयोग की पीठ ने कहा, "हमारी राय में किसी व्यक्ति और वह भी बस के चालक पर 200 रुपए का मामूली जुर्माना लगाना काफी नहीं है. नियम-कायदों का उल्लंघन करने वाले और व्यवस्था का मजाक उड़ाने वाले उस चालक के विरूद्ध विभाग को कठोर से कठोर कार्यवाही करनी चाहिए थी."

पीठ ने आगे कहा, ऐसा लगता है कि चालक के लिए सामाजिक और नैतिक मूल्यों का अनादर कोई मुद्दा ही नहीं है. इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि हरियाणा परिवहन विभाग अपने ही चालकों और परिचालकों द्वारा बसों में हो रही इस तरह की बेतुकी कार्रवाई को रोकने के लिए कोई तंत्र तैयार नहीं कर रहा है. हमारे अपने समाज के बीच इस तरह की कुरीतियों को रोका जाना चाहिए...हमारी ठोस राय में, ऐसी गलतियां करने वाले को विभाग द्वारा कड़ी सजा दी जानी चाहिए."

पेसिव स्मोकिंग को लेकर पीठ ने क्या कहा?

पीठ ने यह भी कहा कि अधिकारी होने के नाते वे जरूरी कदम उठाने में विफल रहे हैं. जिसकी वजह से अपील करने वाले को काफी असुविधा, प्रताड़ना और पीड़ा का सामना करना पड़ा है.

पीठ ने आगे कहा, अपने दोस्तों और परिवारों को सेकेंड हैंड धुएं या पेसिव स्मोकिंग (धूम्रपान करने वाले के आसपास रहना) से बचाने का एकमात्र तरीका है कि वे अपने आसपास के वातावरण को धुए से मुक्त रखें. पेसिव स्मोकिंग के दुष्परिणाम उस व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए समान रूप से हानिकारक हो सकते हैं जो धूम्रपान करने वाले के पास मौजूद होता है. छोटे बच्चों, युवाओं और महिलाओं पर ज्यादा असर पड़ता है.

पीठ ने कहा, पेसिव स्मोकिंग में जहरीले पदार्थ और संक्रामक वायरस भी शामिल होते हैं, जो सेकेंड हैंड स्मोक में मौजूद होते हैं.

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