पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार को मुरथल गैंगरेप की घटनाओं की पुष्टि की है. कोर्ट ने एक विशेष जांच दल को कथित गैंगरेप मामले की जांच को तेज करने और पीड़ितों एवं आरोपियों की पहचान करने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने एमिकस क्यूरी अनुपम गुप्ता द्वारा दिल्ली निवासी बॉबी जोशी और टैक्सी ड्राइवर राज कुमार के बयानों को पेश करने के बाद ये फैसला दिया है.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इन बयानों और मुरथल में बरामद किए गए सीमन से सने महिलाओं के कपड़ों के आधार पर ये बात साफ है कि गैंगरेप हुए थे.
एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को ये भी बताया है कि एसआईटी की जांच में कई जगह चूक देखी गई है. उन्होंने कहा कि जांच दल ने ट्रायल कोर्ट के सामने बताया है कि गैंगरेप और किडनैपिंग की धाराएं एफआईआर से हटा दी गई हैं. इसके बाद कोर्ट ने एसआईटी को आदेश दिया कि ट्रायल कोर्ट के सामने हलफनामा दिया जाए कि एफआईआर में गैंगरेप और किडनैपिंग की धाराएं शामिल थीं.
इसके साथ ही कोर्ट ने सीबीआई के वकील सुमीत गोयल से पूछा है कि क्या सीबीआई आरक्षण से जुड़ी हिंसा के मामलों में जांच कर सकती है?
आखिर क्या था मामला?
साल 2016 में जाट आंदोलन के चरम पर 22 फरवरी को 30 लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर कई कारों को रोककर 10 महिलाओं को खेत में ले जाकर उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया. इसके बाद इन कारों को आग लगा दी गई.
हरियाणा पुलिस ने खारिज किए थे दावे
हरियाणा पुलिस ने दिल्ली से 50 किलोमीटर दूर मुरथल में जाट आंदोलन के दौरान महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किए जाने की घटनाओं को खारिज किया था. पुलिस ने न्यूजपेपर रिपोर्ट्स को पूरी तरह नकारते हुए कहा था कि किसी भी प्रमाणित चश्मदीद ने इन घटनाओं की पुष्टि नहीं की है.
जाट आंदोलन के दौरान, 30 लोगों की मौत हुई थी और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.
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