2008 तक पहले आओ और पहले पाओ की पॉलिसी की वजह से टेलीकॉम कंपनियों की संख्या 7 से 14 हो गई. 2008 के बाद शुरू हुई 7 कंपनियों ने कुछ ही महीने में करीब 40,000 करोड़ रुपए का निवेश किया और 7 करोड़ ग्राहक जोड़े. इस तेजी से हो रही ग्रोथ की वजह से टेलीकॉम सर्विस अपने देश में दुनिया में सबसे सस्ती हो गई.
ऐसे बदल गया टेलीकॉम सेक्टर
लेकिन 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने 122 लाइसेंस रद्द कर दिए. अचानक कई कंपनियां इस सेक्टर से बाहर हो गई. स्वान, एस-टेल और लूप टेलीकॉम जैसी कंपनियां सेक्टर से बाहर हो गईं. कई और कंपनियों को सेक्टर में बने रहना भारी पड़ने लगा.
इंडस्ट्री के दिग्गजों का कहना है कि इस वजह से टेलीकॉम कंपनियों पर कर्ज का बोझ बढ़ने लगा. अब हालत यह है कि इस सेक्टर में बहुत ही कम कंपनियां बची हैं और जो बची भी हैं उन पर कर्ज का भारी बोझ है.
खबरों के मुताबिक टेलीकॉम सेक्टर में लगातार कर्मचारियों की छंटनी हो रही है. एक अनुमान के मुताबिक कुछ महीनों में करीब 1.5 लाख लोगों की नौकरी जा सकती है.
मतलब यह कि सीएजी की एक रिपोर्ट आने के बाद इस सेक्टर को बहुत बड़ा झटका लगा. और अब कोर्ट का फैसला आया है कि जिस 2जी स्कैम पर इतना हंगामा हुआ था उसमें कोई दोषी ही नहीं है.
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