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प्रवासी मजदूरों की मदद में उतरी लखनऊ की प्रसिद्ध बिरयानी की दुकान

आगरा एक्सप्रेसवे पर शहर के बाहरी इलाके में चार अलग-अलग जगहों पर स्टॉल लगाए हैं.

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भारत
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"अदब के शहर से कोई भी भूखा नहीं जाएगा" ये कहना है लखनऊ के फेमस 'वाहिद बिरयानी' का, जो अपने अवधि व्यंजनों के लिए मशहूर हैं. अपने 65 साल के इतिहास में पहली बार, उन्होंने कुछ वेजिटेरिअन व्यंजन बनाने का फैसला किया है और ये सब इसलिए ताकि वो लखनऊ से गुजरने वाले हजारों प्रवासी मजदूरों को खाना खिला सकें.

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आगरा एक्सप्रेसवे पर शहर के बाहरी इलाके में चार अलग-अलग जगहों पर स्टॉल लगाए हैं.
पिछले दस दिनों से हर रोज यहां 1,500 से अधिक प्रवासियों को खिला रहे है
(फोटो : Accessed by The Quint)

पिछले दस दिनों से हर रोज ये 1,500 से अधिक प्रवासियों को खिला रहे है. खाने में नवरतन बिरयानी से लेकर शाकाहारी कबाब, बन, बिस्कुट, शरबत जैसे तमाम शाकाहारी चीजें शामिल हैं.

  • हलवा

    (फोटो : Accessed by The Quint)

“जिनके छोटे बच्चे हैं, जो खा नहीं सकते, उनके लिए दूध की व्यवस्था की गई है. हम माताओं को दूध ले जाने के लिए भी कहते हैं ताकि रास्ते में बच्चे को दिक्कत न हो.”
वाहिद बिरयानी के नौशाद अली कुरैशी ने द क्विंट को बताया.

उन्होंने आगरा एक्सप्रेसवे पर शहर के बाहरी इलाके में चार अलग-अलग जगहों पर स्टॉल लगाए हैं, जहां नौशाद अपने बड़े भाई और आउटलेट के मालिक आबिद अली कुरैशी के साथ काम करते हैं.

आगरा एक्सप्रेसवे पर शहर के बाहरी इलाके में चार अलग-अलग जगहों पर स्टॉल लगाए हैं.
आगरा एक्सप्रेसवे
(फोटो : Accessed by The Quint)

सीतापुर रोड, शहीद पथ और पॉलिटेक्निक चौक पर भी स्टाल लगाए गए है.

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'कोई प्रवासी मजदूर लखनऊ से भूखा नहीं जाएगा’

रमजान का महीना चालू है, ज्यादातर मुसलमान इस दौरान उपवास रखते है. फिर भी वाहिद बिरयानी के लगभग 50 लोग उपवास के साथ पूरा दिन काम करते हैं ताकि कोई भी प्रवासी भूखा न रहे. हालांकि, वे महसूस करते हैं कि उनका उपवास प्रवासियों की परेशानियों की तुलना में कुछ भी नहीं है, जो यह नहीं जानते कि उनका अगला भोजन कब होगा.

आगरा एक्सप्रेसवे पर शहर के बाहरी इलाके में चार अलग-अलग जगहों पर स्टॉल लगाए हैं.
वाहिद बिरयानी की टीम
(फोटो : Accessed by The Quint)

टीम सुबह 11 बजे के आसपास काम करना शुरू करती है और दोपहर में अपने स्थानों पर पहुंच जाती है, और रात 11 बजे के बाद ही घर वापस आती हैं. वे रात में सेहरी के लिए ब्रेक लेते हैं और फिर यह सिलसिला जारी रहता है.

आगरा एक्सप्रेसवे पर शहर के बाहरी इलाके में चार अलग-अलग जगहों पर स्टॉल लगाए हैं.
“प्रवासी हमें बताते हैं कि वे 1,000 किलोमीटर से अधिक दूरी से आ रहे हैं, और किसी ने भी उनके साथ सम्मान के साथ व्यवहार नहीं किया है, लेकिन वे यहां आए हैं और खाए हैं, और उन्होंने महसूस किया कि वे इस देश के हैं.”
आबिद
आगरा एक्सप्रेसवे पर शहर के बाहरी इलाके में चार अलग-अलग जगहों पर स्टॉल लगाए हैं.

नौशाद ने कहा, "उनमें से कुछ के पास कोई कपड़े नहीं हैं, कोई खाना नहीं है और वे थक चुके हैं. आखिरकार जब उन्होंने भोजन किया, तो उन्होंने ऊंचा हाथ उठाया और हमें धन्यवाद दिया."

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'हिंदू, मुस्लिम ... इफ्तार में एक साथ भोजन करते हैं'

आगरा एक्सप्रेसवे पर शहर के बाहरी इलाके में चार अलग-अलग जगहों पर स्टॉल लगाए हैं.

आउटलेट के मालिक, आबिद ने कहा कि इफ्तार के दौरान, जो शाम को 7 बजे के आसपास होता है, टीम के सभी लोग एक साथ अपना उपवास तोड़ते हैं, और मेकशिफ्ट शिविरों में प्रार्थना करते हैं.

ईद पर दावत

आगरा एक्सप्रेसवे पर शहर के बाहरी इलाके में चार अलग-अलग जगहों पर स्टॉल लगाए हैं.

भाइयों ने शुरू में ईद तक ऐसा करने की योजना बनाई थी, जो 24 या 25 मई को होने की संभावना है. आबिद ने कहा, "हमने सभी प्रवासी मजदूरों के लिए 30-40 किलो सेवइयां, 2-3 डेग बिरयानी ईद पर पकाने की योजना बनाई है."

उन्होंने कहा कि वे लोगों के रिस्पांस से काफी खुश है और उन्होंने तय किया है कि ईद बाद भी वो प्रवासियों को खिलाना जारी रखेंगे.

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