ADVERTISEMENTREMOVE AD

‘कोरोना जिहाद, सुपर स्प्रेडर’, कलंक के साथ साल भर कैसे रहे तबलीगी?

कई न्यूज आउटलेट्स ने तब्लीगी जमात को एक ‘सुपर स्प्रेडर’ इवेंट बताया था

Updated
भारत
3 min read
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा

आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में जब अब्दुल रहमान के घर एक एम्बुलेंस और पुलिस जीप पहुंची, तो उनकी परेशान पत्नी कुरान पढ़ रही थीं. 30 मार्च 2020 को राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने रहमान को लाने के कड़े निर्देश जारी किए थे. रहमान 14 से 17 मार्च के बीच दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में हिस्सा लेने वाले 3000 लोगों में से एक थे.

31 साल के रहमान तबलीगी जमात के सदस्य थे. उन्होंने पुलिस और अथॉरिटीज के साथ सहयोग किया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

डर और घृणा

पिछले साल हुई इस घटना को याद करते हुए रहमान कहते हैं, "वो गिरफ्तारी की तरह था. हमारे सभी पड़ोसी मौजूद थे और देख रहे थे. मेरा परिवार जिसमें मेरे माता-पिता भी शामिल हैं, सब डरे हुए थे."

रहमान को रात में एक करीबी हेल्थ फैसिलिटी ले जाया गया था और टेस्टिंग के लिए उनके सैंपल लिए गए थे. आंध्र सरकार ने 22 मार्च 2020 को कर्फ्यू लगाया था और देशभर में 24 मार्च से लॉकडाउन लगा था.  

रहमान ने क्विंट से कहा, "मुझे याद है कि नतीजों के लिए इंतजार कर रहा था और प्रार्थना कर रहा था. मेरा टेस्ट नेगेटिव आया लेकिन कलंक नहीं खत्म हुआ. तब मुझे जमात के बड़ों ने धैर्य रखने की सलाह दी." रहमान को विशाखापत्तनम की एक COVID-19 आइसोलेशन फैसिलिटी में भर्ती कराया गया था.

नीति के मुताबिक, तब्लीगी जमात ने COVID-19 क्लस्टर का पता लगने के बाद से 'एक साल धैर्य' रखने का फैसला किया था. कई न्यूज आउटलेट्स ने तब्लीगी जमात को एक 'सुपर स्प्रेडर' इवेंट बताया था.

कलंक का सामना, धैर्य की सीख

नाम न बताने की शर्त पर तब्लीग के एक वरिष्ठ सदस्य ने क्विंट से कहा, "कई जवान सदस्य बहुत गुस्सा थे और उन्हें बहिष्कृत करने वालों के खिलाफ शत्रुता पाल रहे थे. हमारी नीति उन्हें तब्लीग की आध्यात्मिक कोशिश के जरिए धैर्य सिखाने की थी."

हालांकि, रहमान अधिकारियों से मिलकर अपना नाम इन सबसे निकलवाना चाहते थे.

“जिन लोगों ने हमें मीडिया में बदनाम किया था, मैं उन्हें जवाब देना चाहता था. मैं उनके साथ डिबेट करना चाहता था.” 
अब्दुल रहमान
ADVERTISEMENTREMOVE AD

रहमान का फोन नंबर, घर का पता जैसी निजी जानकारी मार्च 2020 में सार्वजानिक कर दी गई थी. कोविड नेगेटिव आने के बाद भी धमकियों और सामाजिक बहिष्कार ने रहमान का पीछा नहीं छोड़ा.

जो रहमान ने झेला, वैसा ही अनुभव कई लोगों ने किया था. रहमान ने कहा, “इनमें से छह परिवारों को क्वॉरंटीन किया गया था और उन्हें खाना और सामान देने से इनकार किया गया.”

तब्लीग के लोगों ने इन्हें देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान मदद दी. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकार ने बयान जारी कर जनता से अपील की थी कि तब्लीगियों का बहिष्कार न किया जाए.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

संघर्ष में सामूहिक ताकत

सदस्य कहते हैं कि तब्लीग में आध्यात्मिक विचार बातचीत का हिस्सा है. वो कहते हैं कि इसी तरह की बातचीत से परेशानी के समय समुदाय के यूथ का मनोबल बना रहा. एक सरकारी नौकर ने कहा, "जो भी अच्छा, बुरा होता है, हम उस पर बातचीत करते हैं. हम समुदाय से सलाह मांगते हैं. आइसोलेशन और कलंक के दौरान फोन पर बातचीत ने हमारा साथ दिया. हमने मस्तमौला रहने का फैसला किया. इसने हमारी मदद की."

तबलीगी जमात ने सिर्फ एक सार्वजनिक बयान जारी किया था कि निजामुद्दीन मरकज की बैठक देश में लगे कोरोना लॉकडाउन और प्रोटोकॉल से पहले हुई थी. उसके बाद जमात ने कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया था.  

हालांकि, जमात नेताओं ने सरकार और पुलिस के साथ मरकज में शरीक होने वाले लोगों की जानकारी साझा की थी. यही जानकारी ज्यादातर राज्यों में मीडिया को लीक की गई और कई मामलों में whatsapp फॉरवर्ड का हिस्सा बन गई.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

परिवार और दोस्तों का शोक

कलंक के अलावा कई जमातियों को अपने परिजनों और दोस्तों की मौत से भी जूझना पड़ा. हैदराबाद में एक 72 साल के व्यक्ति की COVID-19 से मौत हो गई थी. उनका बेटा याद करता है, "जब मेरे पिता को संभावित रूप से संक्रमण हुआ तो हम एक डॉक्टर के पास नहीं जा पाए. उनकी मौत की रात मैं एम्बुलेंस की खोज में इधर-उधर दौड़ रहा था. COVID-19 मरीजों का अंतिम संस्कार उस समय मुश्किल काम था और तब्लीगियों पर दुगना शक हो रहा था."

उनके पिता का शरीर बिना मुस्लिम रीति-रिवाजों के दफनाया गया था. बेटे ने कहा, "समुदाय के एक भी व्यक्ति को शरीर के पास नहीं आने दिया गया." COVID-19 मौत के ज्यादातर मामलों की तरह इस दौरान भी कोई परिजन दफनाने के समय मौजूद नहीं रह पाया.

मरकज 2020 से बंद था. इस हफ्ते दिल्ली हाई कोर्ट ने 50 लोगों को इमारत में नमाज पढ़ने की इजाजत दी है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×