ADVERTISEMENTREMOVE AD

देशभर में बैंकों के बाहर लगी लंबी लाइनें, बिन पैसा परेशान हैं लोग

नोटबंदी के ऐलान को तीन दिन बीत चुके हैं. लेकिन बैंकों के बाहर लगीं लाइनें कम होती नहीं दिख रही हैं

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

पीएम मोदी के नोट बैन के ऐलान के बाद पूरे देश में अफरा-तफरी मची हुई है. लोग अपना काम छोड़ बैंक और एटीएम मशीनों के बाहर लाइन में लगे हैं. 500-1000 रुपए के नोटों पर बैन लगे पूरे तीन दिन बीत चुके हैं. मार्केट में कोई भी बड़े नोट लेने को तैयार नहीं है और लोगों के पास छोटे नोट भी खत्म हो चुके हैं. बाकी एटीम मशीनों में कैश न होने की वजह से भी लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

देशभर के अलग-अलग शहरों में लोग एटीएम और बैंकों के बाहर घंटों लाइन में लगने को मजबूर हैं.

रेल भवन, दिल्ली

यह भीड़ है दिल्ली के रेल भवन इलाके में स्थित स्टेट बैंक के बाहर की. यहां लोग बैंक खुलने से पहले ही आकर लाइन में खड़े हो गए थे.

चांदनी चौक, दिल्ली

दिल्ली के चांदनी चौक स्थित बैंक का भी यही हाल है. शनिवार और रविवार को भी बैंक खुल रहेंगे. हालांकि भीड़ में कोई कमी नहीं आई है.

वसंत बिहार, दिल्ली

दिल्ली के वसंत बिहार इलाके में यह तीन अलग-अलग बैंकों की फोटो हैं. तीनों जगह लोगों का जमावाड़ा लगा हुआ है. इनमें स्टेट बैंक की ब्रांच अभी खुली नहीं हैं लेकिन लोग फिर लाइन में खड़े हो गए.

सिलिगुड़ी, बंगाल

बंगाल के सिलिगुड़ी में भी लोग स्टेट बैंक खुलने से पहले ही ब्रांच के बाहर लाइन लगाकर खड़े रहे.

केरल

शायद ही देश का कोई ऐसा बैंक हो, जहां लोग कतार में खड़े हो. यह तस्वीर केरल में स्थित विजया बैंक के बाहर की है.

पटना, बिहार

यह तस्वीर है बिहार के पटना शहर की. बैंक की ब्रांच बंद है लेकिन लोग कतार लगाकर फिर भी खड़े हैं.

सियोन, मुंबई

मुंबई में भी जनता परेशान हैं. पुराने नोट बदलने के लिए बैंक खुलने से पहले ही लोग मौके पर पहुंच गए. लोग खड़े-खड़े थक गए तो लोगों ने जमीन पर बैठना बेहतर समझा.

नागपुर

नागपुर में स्टेट बैंक के बाहर लोग अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं. युवा, महिला, बूढ़े हर उम्र के लोग नोट बदलने के लिए बैंक आ रहे हैं.

बैंक में घंटो लाइन में खड़े होने के बाद लोगों का नोट बदल जाता है तो लोगों के चहेरे पर खुशी दिखती है. लेकिन एटीएम जाने पर लोगों को मायूसी ही हाथ लग रही है. देश के ज्यादातक एटीएम बंद पड़े हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×