आईआईटी मंडी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा गिलास बनाया है, जो सूरज की किरणों से पानी को साफ करेगा. ये 'सेल्फ क्लीनिंग' गिलास गंदे पानी से माइक्रोब्स और ऑर्गेनिक गंदगी जैसे डाई, ड्रग्स और डिटर्जेंट को साफ कर सकता है. साफ पानी की बढ़ती कमी और प्रदूषित पानी को फिर से इस्तेमाल करने में ये तकनीक खासा कारगर हो सकती है.
आईआईटी मंडी के असोसिएट प्रोफेसर राहुल वैश कहते हैं कि पानी से ऑर्गेनिक कंपाउंड्स को निकालना बड़ा चैलेंज है. लेकिन इस तकनीक के आ जाने से कुछ हद तक कामयाबी हासिल की जा सकती है.
सफाई की मौजूदा तकनीक पानी से ठोस गंदगी और घुल चुके इनऑर्गेनिक कंपाउंड्स तो हटा देती है, लेकिन ऑर्गेनिक कंपाउंड्स को निकालना एक चुनौती थी. इंडस्ट्री गंदे पानी को साफ करने की बजाय उसे सीधा नदी में डाल देती हैं. नदी का पानी पूरी तरह से प्रदूषित होने के बाद ही हमें उसकी सफाई का खयाल आता है.राहुल वैश, असोसिएट प्रोफेसर, आईआईटी मंडी
क्या है ये तकनीक?
इस गिलास को बनाने वाली टीम में गुरप्रीत सिंह और संदीप सिंह भी शामिल हैं. इस टीम ने ऐसा पारदर्शी कैल्शियम बोरेट गिलास और TiO2 क्रिस्टिलाइज्ड नैनोकंपोसाइट्स विकसित किया है, जो सूरज की रोशनी में माइक्रोब्स को खत्म कर सकता है.
वैश ने बताया कि इसमें अलग से मशीनरी की कोई जरूरत नहीं हैं. सिर्फ धूप में गिलास रखने से ये पानी से ऑर्गेनिक कंपाउंड्स को कुछ घंटों में खत्म कर देगा. पानी साफ करने की तकनीक काफी महंगी होती है, लेकिन दावा है कि ये गिलास जेब पर ज्यादा भारी नहीं पडे़गा.
वैश के मुताबिक, इसका इस्तेमाल हवा को साफ करने के लिए भी किया जा सकता है. 'ये हवा से NOx (नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स) को खत्म कर सकता है. अगर हम इसे अपनी खिड़की पर लगाएंगे, तो हम वायु प्रदूषण भी कम कर सकते हैं.'
इन फैब्रिकेट गिलास को बड़े पैनल से लेकर बोतल और टैंक तक में तब्दील किया जा सकता है.
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