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देशभर के तीन लाख डॉक्टर आज हड़ताल पर, बंद रहेंगे प्राइवेट अस्पताल

नेशनल मेडिकल कमीशन बिल का विरोध 

Published
भारत
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नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के खिलाफ देशभर के करीब तीन लाख डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस बिल को 'जन विरोधी और मरीज विरोधी' करार देते हुए मंगलवार को देशभर के निजी अस्पतालों को 12 घंटे बंद रखने का आह्वान किया है.

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लोकसभा में बिल पर होगी चर्चा

'नेशनल मेडिकल कमीशन बिल 2017' शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया गया. इसमें मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की जगह नेशनल मेडिकल कमीशन बनाने का प्रावधान है. मंगलवार को लोकसभा में इस पर चर्चा शुरू हो सकती है.

आईएमए ने एनएमसी विधेयक का पुरजोर विरोध करते हुए कहा कि यह कानून चिकित्सा पेशेवरों को नौकरशाही तथा गैर-चिकित्सकीय प्रशासनिक अधिकारियों के प्रति पूरी तरह जवाबदेह बनाकर उनके कामकाज को प्रभावित करेगा.

यह विरोध तब हो रहा है, जब आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ के के अग्रवाल और वर्तमान अध्यक्ष रवि वानखेड़े स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा से मिले और विधेयक में व्यापक संशोधन की बात उठाई.

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“इंडियन मेडिकल एसोसिएशन इस विधेयक का विरोध करता है और इस मुद्दे को लेकर लोगों और मरीजों के पास जाने के सिवा कोई चारा नहीं है. हमने अपने सदस्य अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थाओं से मंगलवार को 12 घंटे बंद रखने का आह्वान किया है. इस दौरान सभी अस्पतालों में ओपीडी और वैकल्पिक सर्जरी की सेवाएं सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक बंद रहेंगी.”
रवि वानखेड़े, प्रेसिडेंट, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन
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शुरू से ही हो रहा है बिल का विरोध

आईएमए एक वैधानिक निकाय है और यह नेशनल मेडिकल कमीशन गठित करने संबंधी विधेयक का पिछले माह कैबिनेट की मंजूरी मिलने के समय से ही विरोध करता रहा है और उसमें संशोधन की मांग कर रहा है. आईएमए का कहना है कि एक तरफ यह विधेयक भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए लाया जा रहा है, जबकि इससे भ्रष्टाचार की बाढ़ आ जाएगी.

आईएमए की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह विधेयक गरीब विरोधी है. इसमें आयुर्वेद सहित भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों को ब्रिज कोर्स करने के बाद एलोपैथी की प्रैक्टिस की इजाजत दी गई है.आईएमए का कहना है कि इससे बड़े पैमाने पर चिकित्सा का स्तर गिरेगा और यह मरीज की देखभाल तथा सुरक्षा के साथ खिलवाड़ होगा.

आईएमए की मांग है कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के तहत प्रैक्टिस के लिए एमबीबीएस का मानक बना रहना चाहिए. आईएमए के 2.77 लाख सदस्य हैं, जिसमें देशभर में फैले कॉरपोरेट अस्पताल, पॉली क्लीनिक और नर्सिग होम शमिल हैं.

(इनपुटः IANS और PTI से)

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