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बिहार में कानून राज कायम: जेल भेजा गया नीतीश का विधायक

बिहार में जंगल राज नहीं कानून राज की वापसी हुई है

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भारत
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बिहार में महागठबंधन की जीत होने पर बीजेपी ने जब बिहार में ‘जंगल राज की वापसी’ की आशंका जताई थी तो नीतीश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि, ‘ना किसी से दोस्ती, ना किसी से दुश्मनी, कानून अपना काम करेगा’.

बिहार में सरकार का गठन हुए एक महीने हो चुका है और इस एक महीने में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साबित कर दिया है कि कानूनी मामलों में किसी को भी हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं है.

भले ही मामला गठबंधन सहयोगी आरजेडी या उनकी खुद की पार्टी के विधायक से संबंधित हो.

सोमवार को बीते नवंबर महीने में सिवान की जीरादेई विधानसभा सीट से जीते जनता दल यूनाइटेड के विधायक रमेश सिंह कुशवाहा को हत्या के मामले में जेल भेज दिया गया.

बिहार में जंगल राज नहीं कानून राज की वापसी हुई है
जीरादेई सीट से जेडीयू विधायक रमेश सिंह कुशवाहा को हत्या के मामले मेें जेल भेजा गया है. (फोटोः Facebook)

दल बदलने में माहिर हैं कुशवाहा

साल 1997 में जनता दल के नेता शिवजी दुबे की हत्या के मामले में कुशवाहा को आरोपी बनाया गया था. उस समय कुशवाह सीपीआई(एमएल) में थे, और तभी से वह गिरफ्तारी से बचते आ रहे थे.

इसके बाद पहले वह लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल और फिर बाद में उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी में शामिल हुए थे. बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रमेश सिंह कुशवाहा ने नीतीश कुमार को अपना समर्थन दे दिया और जेडीयू की ओर से डॉ. राजेंद्र प्रसाद के ज न्म स्थान जीरादेई से प्रत्याशी बने.

कुशवाह ने उस सीट पर जीत दर्ज की जिस सीट पर 90 के दशक में मोहम्मद शहाबुद्दीन का कब्जा था.

बहरहाल रमेश सिंह कुशवाहा ने 14 दिसंबर को हत्या के मामले में मजिस्ट्रेट के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है.

बिहार में जंगल राज नहीं कानून राज की वापसी हुई है
बिहार में तीसरी बार नीतीश कुमार के कार्यभार संभालने के बाद आशंका जताई गई थी कि बिहार में ‘जंगल राज‘ लौट सकता है. (फोटो :@NitishKumar)

बदनाम रहा है जीरादेई निर्वाचन क्षेत्र

इसे महज एक इत्तेफाक भी कह सकते हैं, लेकिन सिवान जिले के जिस विधानसभा क्षेत्र जीरादेई ने देश को पहला राष्ट्रपति दिया, वही बाद में कई बुरी वजहों के लिए सुर्खियों में रहा.

जीरादेई विधानसभा सीट से पूर्व विधायक मोहम्मद शहाबुद्दीन बाद में आरजेडी में शामिल होकर सिवान लोकसभा सीट से सांसद भी चुने गए. लेकिन बीते हफ्ते ही शहाबुद्दीन को दोहरे हत्याकाण्ड के एक मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई गई है.

मोहम्मद शहाबुद्दीन का नाम साल 2004 में सिवान के एक कारोबारी चंदेश्वर प्रसाद के तीन बेटों का अपहरण करने के मामले में भी आया था. जमीन से जुड़े एक विवाद के चलते शहाबुद्दीन ने तीन भाईयों का अपहरण कर लिया था. जिनमें से दो भाइयों की तेजाब डालकर हत्या कर दी गई थी.

बिहार में जंगल राज नहीं कानून राज की वापसी हुई है
बिहार में कानून काम कर रहा है और यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए अच्छी शुरुआत है (फोटोः The Quint)

तीन भाइयों में गिरीश और सतीश की हत्या कर दी गई थी, जबकि तीसरा भाई रौशन मौके से भागने में सफल हो गया था. रोशन इस घटना का चश्मदीद गवाह था.

हालांकि साल 2014 में शहाबुद्दीन के लोगों ने उसकी भी हत्या कर दी.

एक अन्य मामले में भी दोषी करार दिए गए हैं शहाबुद्दीन

घटना के 11 साल बाद, 11 दिसंबर 2015 को एक स्पेशल कोर्ट ने जेल में पहले से ही सजा काट रहे पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को उम्र कैद की सजा सुनाई.

स्पेशल कोर्ट के जज अजय कुमार श्रीवास्तव ने दो भाइयों की तेजाब डालकर हत्या करने के मामले में शहाबुद्दीन को दोषी पाया है.

सिवान में आतंक का पर्याय रहे पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को हत्या के मामले में धारा 302, हत्या के लिए अपहरण करने के लिए धारा 364 ए, सबूतों को मिटाने के लिए धारा 201 और हत्या की साजिश रचने के लिए धारा 120 बी के तहत सजा सुनाई है.

बिहार में जंगल राज नहीं कानून राज की वापसी हुई है
पूर्व आरजेडी सांसद शहाबुद्दीन (फोटोःFacebook)

यह तीसरा मामला में है जिसमें पूर्व सांसद को दोषी पाया गया है.

इसलिए जिन्हें भी यह लग रहा था कि लालू की पार्टी को ज्यादा सीटें मिलने के बाद बिहार में जंगलराज वापस लौट सकता है, उन्हें ये समझ लेना चाहिए कि बिहार में कानून काम कर रहा है.

(लेखक बिहार में पत्रकार हैं)

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