प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बुनकरों की सेहत सुधारने के तमाम वादे किए. उनके वादे को अंजाम तक पहुंचाने में केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय जी-जान से जुटा है. इसके बावजूद यहां के हथकरघा बुनकरों की माली हालत जस की तस बनी हुई है.
मंत्रालय ने लाखों रुपये खर्च कर सर्वेक्षण जरूर कराया है.
क्या कहता है 13 लाख में कराया गया सरकारी सर्वे?
केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय की ओर से कराए गए सर्वेक्षण में ही यह बात सामने आई है कि यहां हथकरघा बुनकरों की माली हालत काफी खराब है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जन धन योजना हो या फिर प्रधानमंत्री बीमा योजना, मगर ज्यादातर बुनकर इन योजनाओं से दूर हैं और सामाजिक सुरक्षा के नाम पर भी उनके पास कुछ नहीं है.
केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि “सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि स्वच्छ भारत अभियान के बावजूद बुनकर बस्तियों की हालत बहुत खराब है. हर तरफ गंदगी का अंबार है और जलभराव की समस्या भी जस की तस है. और तो और, इन बस्तियों में बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं का भी घोर आभाव है.”
अधिकारी के मुताबिक, सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया है कि हैंडलूम विभाग के लगभग 35 टेक्सटाइल सुपरवाइजर और इंस्पेक्टरों ने ग्रामीण एवं शहरी बुनकर क्लस्टर एरिया में घर-घर जाकर आंकड़े जुटाए थे.
इस काम में छह महीने लगे. आंकड़ों को फीड करने के साथ ही इसका परीक्षण करने का काम भी काफी दिनों तक चला.
कैसे किया गया सर्वे?
- सर्वेक्षण के दौरान बुनकरों की बदहाली के कारण जानने के प्रयास किए गए.
- बुनकरों से जुड़ी व्यक्तिगत जानकारी एकत्र की गई.
- उनकी शिक्षा का स्तर पता किया गया.
- बुनकरों की आर्थिक स्थिति की भी जानकारी ली गई.
अधिकारी ने बताया, “दिसंबर माह में यह सर्वे पूरा हुआ और सरकार ने उस पर कुल 13 लाख रुपये खर्च किए. सर्वे के बाद तैयार की गई रिपोर्ट में कुछ सुझाव भी दिए गए हैं.”
रिपोर्ट में क्या सुझाव दिए गए हैं?
कपड़ा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि
- शासन स्तर से इन बुनकरों की मजदूरी तय होनी चाहिए.
- रिलीफ फंड के जरिये बुनकरों को मदद पहुंचाई जाए.
- बुनकरों के उत्पादों का प्रचार-प्रसार ‘ग्रीन प्रोडक्ट’ मानकर किया जाए.
- हथकरघों को अपग्रेड कर उनको डिजाइनिंग से जोड़ा जाए.
उप्र हैंडलूम के सहायक आयुक्त नितेश धवन के मुताबिक, “सर्वेक्षण की विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी गई है. इसमें आंकड़ों के आधार पर निकाले गए निष्कर्ष अंकित हैं और बदहाल बुनकरों के लिए क्या कुछ हो सकता है, इस पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है. इस रिपोर्ट के आधार पर कारगर कदम उठाए जाने पर ही काशी के बुनकरों की बदहाली दूर हो पाएगी.”
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