भाउसाहेब सलुंके महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के अकोला से दिल्ली पहुंचे हैं. वो चौथी बार दिल्ली आए हैं और इस बार उन्हें मदद की उम्मीद है.
मेरी चार बेटियां, एक बेटा और एक पत्नी हैं. ये हमारी रिटायरमेंट की उम्र है लेकिन क्योंकि खेती से कोई आमदनी होती नहीं इसलिए मुझे और मेरी पत्नी को नौकरी करनी पड़ती है. हम दोनों को 6-6 हजार रुपए मिलते हैं. वो एक तंबाकू फैक्ट्री में काम करती है तो वहीं मैं एसबीआई एटीएम में सिक्योरिटी गार्ड हूं. हमारी हालत देखकर, मेरा बेटा खेती को अपनाना नहीं चाहता.
हमारा भारी नुकसान हुआ इसलिए मेरे पति ने आत्महत्या कर ली. प्रशासन मेरी परेशानियों को नहीं समझता है. मैं एक दिन में 150-200 रुपए कमाती हूं. मैं कैसे 5 लाख का लोन भरूं? और इस साल मैंने जो कपास बोई थी वो भी खराब हो गई. मेरी जिंदगी बहुत मुश्किल है.
43 साल की गौरअम्मा कर्नाटक से है और हर महीने 6 हजार रुपए कमाती है जिसमें से 3 हजार किराए के देती है. वो कहती है कि उसका पति उसे छोड़ कर चला गया और कभी लौट कर नहीं आया. अपने पति के जिक्र पर बार-बार उसकी आंखें भर आती हैं.
30 नवंबर को ये किसान संसद मार्ग की ओर रुख करेंगे. किसान मांग रखेंगे कि सरकार किसानों की परेशानियों को लेकर स्पेशल पार्लियामेंट सेशन बुलाए और कर्जमाफी और मिनिमम सपोर्ट प्राइज से जुड़े दो बिल पास करे.
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