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देश में अब तक 10 करोड़ लोगों को वैक्सीन, रफ्तार बढ़ाने के 9 तरीके

कुल जनसंख्या की तुलना में वैक्सीनेशन करने में हम टॉप 10 से बाहर

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भारत
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85 दिन में 10 करोड़ वैक्सीनेशन कर भारत ने एक खास मुकाम हासिल कर लिया है. दुनिया में किसी भी देश ने इतनी तेजी से वैक्सीनेशन नहीं किया है. लेकिन जनसंख्या को ध्यान में रखकर बात करें तो अभी भी कोविड टीकाकरण की रफ्तार काफी धीमी चल रही है. आइए जानते भारत में चल रही वैक्सीनेशन की गणित और रणनीति...

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कैसा रहा 100 मिलियन तक का सफर?

16 जनवरी 2021 को भारत में वैक्सीनेशन अभियान की शुरूआत की गई थी. पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीका लगाया गया उसके बाद बुजुर्गों को और अब 45+ की उम्र के लोगों का टीकाकरण भी किया जाने लगा है. 10 अप्रैल 2021 तक (85 दिनों में) भारत ने 10 करोड़ डोज लगाने की उपलब्धि हासिल कर ली.

10 करोड़ डोज तक पहुंचने के लिए किस देश ने लिया कितना समय :

  • भारत ने 85 दिनों में यह आंकड़ा छुआ है.

  • अमेरिका ने 89 दिनों में 10 करोड़ डोज लगाई है.

  • चीन ने 102 दिनों में यह मुकाम हासिल किया है.

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कुल वैक्सीनेशन में तीसरे स्थान पर हम

दुनिया भर में सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन करने वालों देशों की लिस्ट में भारत तीसरे स्थान पर है. भारत में प्रतिदिन औसतन 35 लाख डोज लगाई जा रही है. इकनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार वैक्सीनेशन करने वाले टॉप देशों की बात करें तो वो उस प्रकार हैं...

1. अमेरिका (178.84 मिलियन)

2. चीन (155.15 मिलियन)

3. भारत (101.28 मिलियन)

4. यूके (38.44 मिलियन)

5. ब्राजील (29.21 मिलियन)

6. जर्मनी (17.04 मिलियन)

7. फ्रांस (14.11 मिलियन)

8. स्पेन (10.23 मिलियन)

9. इजराइल (10.22 मिलियन)

अर्थव्यवस्था का वैश्विक आकलन करने वाली फर्म ऑक्सफोर्ड इकनॉमिक्स का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय अनुभव के आधार पर देखा जाए, तो भारत में टीकाकरण की रफ्तार काफी धीमी है और संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए यह पर्याप्त नहीं है.
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कुल जनसंख्या की तुलना में वैक्सीनेशन करने में हम टॉप 10 से बाहर

दुनिया में भर में कुल वैक्सीनेशन के मामले में हम भले ही शीर्ष 3 देशों में शामिल हैं लेकिन सकल आबादी की तुलना में वैक्सीनेशन की बात करें तो हमारी रफ्तार काफी धीमी है. हम दुनिया के टॉप 10 देशों की लिस्ट से बाहर हैं. ब्लूमबर्ग ट्रैकर के आंकड़ों के मुताबिक प्रति मिलियन डोज लगाने वाले दुनिया के शीर्ष देश इस प्रकार हैं...

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प्रति दस लाख आबादी में कितने को टीका

1. इजराइल 11,29,414

2. ब्रिटेन 5,75,221

3. अमेरिका 5,44,839

4. उरुग्वे 2,86,256

5. तुर्की 2,20,892

6. स्पेन 2,15,630

7. फ्रांस 2,10,387

8. इटली 2,05,079

9. जर्मनी 2,04,922

10. कनाडा 1,98,937

11. ब्राजील 1,37,409

12. चीन 1,11,003

13. मैक्सिको 84,458

14. रुस 80,693

15. भारत 74,124

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कोरोना वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ाने के लिए क्या करें?

टाइम्स ऑफ इंडिया में अपने एक लेख में कार्डियक सर्जन और नारायणा हेल्थ के अध्यक्ष और संस्थापक देवी शेट्टी ने लिखा है कि अब लॉकडाउन की जरूरत नहीं बल्कि जरूरत है कि 20 से 45 साल के लोगों को टीका लगाया जाए. उन्होंने लिखा है कि 20 से 45 वर्ष के बीच के लोगों के टीकाकरण पर अब जोर देना चाहिए, क्योंकि इन्हीं एज ग्रुप के लोग असली सुपर स्प्रेडर हैं.

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1.

भारत को रोज कम से कम 50 लाख डोज के लक्ष्य के साथ काम करने की जरूरत है.

2.

भौगोलिक दृष्टिकोण से रणनीति बनाने की अवश्यकता है.

3.

वैक्सीनेशन करने के लिए हॉटस्पाट इलाकों में और ज्यादा वैक्सीन भेजने की अवश्यकता है.

4.

महाराष्ट्र जैसे व्यापक कोविड मामलों वाले राज्यों में सभी वयस्कों के लिए वैक्सीनेशन की अनुमति देने की अवश्यकता है.

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भारत को रणनीतिक स्तर पर कुछ अगल करना होगा...

बीबीसी की एक रिपोर्ट में देश के जाने माने वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर शाहिद जमील कहते हैं कि कोरोना से निपटने के लिए भारत सरकार को वैक्सीनेशन स्ट्रैटेजी में बदलाव लाना होगा. भारत में केवल 4.8 फीसदी आबादी को वैक्सीन का पहला डोज लगा है और 0.7 फीसदी आबादी को दूसरा डोज लगा है. अभी भी भारत अपने टारगेट से काफी पीछे है. यही वजह है कि भारत में वैक्सीन का असर आबादी पर नहीं दिख रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए एम्स के चीफ डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि हमारा देश काफी बड़ा है, ऐसे में अगर हम एक साथ हर किसी को कोरोना की डोज देंगे तो हमें तुरंत ही दो अरब डोज चाहिए होगी. अभी जिनके लिए वैक्सीनेशन चालू है उनमें से भी आधे लोग ही आ रहे हैं. ऐसे में हमें कोशिश करनी चाहिए कि जितने लोगों को इजाजत है, उनमें अधिकतर से अधिकतर टीके लगवा लें.
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5.

सीरम इंडिया इंस्टीट्यूट (SII) ने अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए 3000 करोड़ रुपये की मांग की है. वैक्सीन सप्लाई के लिए भी अहम कदम उठाने होंगे.

6.

भारत में अब तक जिन दो वैक्सीन को अनुमति दी गई है, उनके निर्माता 70 मिलियन डोज एक महीने में डिलिवर करते हैं. यानी 2.5 मिलियन प्रतिदिन. ऐसे में इसकी गति को बढ़ाना आवश्यक है. सीरम इंस्टीट्यूट का कहना है कि वह आगामी जून से 110 मिलियन डोज प्रति माह उपलब्ध कराएगी.

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7.

पब्लिक इंट्रेस्ट को देखते हुए सरकार ने कोवैक्सीन को बिना फुल ट्रायल के मंजूरी दी थी. इसी तरह सरकार सीरम इंस्टीट्यूट को वित्तीय सहायता प्रदान कर सकती है. यह मदद एक सॉफ्ट लोन की तरह हो सकती है, जो पीएम केयर फंड या अन्य किसी उचित माध्यम से दी जा सकती है.

8.

रूस की स्पुतनिक-वी पर मंजूरी के बारे में सोचना चाहिए ताकि डॉ. रेड्डीज लैब से वैक्सीन की सप्लाई में वृद्धि हो सकती है.

9.

भारत को अन्य वैक्सीन जैसे फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन जैसी वैक्सीन को अनुमति देने पर विचार करना चाहिए. इन्हें प्राइवेट सेक्टर के लिए मार्केट प्राइज पर लेने की अनुमति दी जा सकती है. इससे सरकारी वैक्सीनेशन अभियान में दबाव कम हो सकता है.

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