भारत उपग्रह-भेदी क्षमता हासिल कर चौथी अंतरिक्ष महाशक्ति बन गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को टीवी पर देश के नाम अपने संबोधन में कहा, "हमारे वैज्ञानिकों ने कुछ समय पहले पृथ्वी की निचली कक्षा में 300 किलीमीटर दूर पर एक उपग्रह को नष्ट कर दिया."
उन्होंने कहा, "ए-सैट ने पूर्व निर्धारित लक्ष्य सिर्फ तीन मिनट में नष्ट कर दिया. इसके साथ ही भारत ने खुद को अंतरिक्ष महाशक्ति के तौर पर स्थापित कर दिया है." प्रधानमंत्री ने कहा, "'मिशन शक्ति' कठिन अभियान था, लेकिन यह बहुत बड़ी सफलता है."
ये कदम उठाकर भारत ने साबित कर दिया है कि उसके पास अंतरिक्ष में मौजूद उसके उपग्रहों को सुरक्षित रखने की क्षमता है. साथ ही दुश्मन देशों को ये संकेत भी दे दिया है कि अगर कोई उपग्रह देश के लिए खतरा पैदा करता है, तो भारत उसे मार गिरा सकता है.
भारत बना चौथी अंतरिक्ष महाशक्ति
अब तक सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन ऐसा कर सकते थे. लेकिन अब भारत उपग्रह-भेदी क्षमता हासिल कर चौथी अंतरिक्ष महाशक्ति बन गया है. भारत उन देशों की लिस्ट में शामिल हो है, जिसके पास एंटी-सैटेलाइट हथियार है.
भारत ने बुधवार को एक काइनेटिक हथियार का इस्तेमाल कर एक लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट को मार गिराया. यानी कि अब भारत अपनी अंतरिक्ष संपदा को सुरक्षित रखने में सक्षम है.
साल 2012 में भारत के पास थी एंटी सेटेलाइट सिस्टम की क्षमता
कामयाब परीक्षण की बात भले ही अब सामने आई हो. लेकिन भारत ने ये क्षमता काफी पहले ही हासिल कर ली थी. चीन के अंतरिक्ष में परीक्षण करने की खबरों के बीच डिफेंस एंड डेवलेपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के तत्कालीन चीफ विजय कुमार सारस्वत ने माना था कि भारत के पास ये क्षमता है, लेकिन इसके अलग नुकसान हैं.
तत्कालीन डीआरडीओ चीफ ने साल 2012 में इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में डीआरडीओ के पास अंतरिक्ष में सेटेलाइट्स को तबाह करने की क्षमता की पुष्टि की थी. उन्होंने कहा था कि एंटी सेटेलाइट सिस्टम को लेकर जो तैयारियां होनी चाहिए, वे पूरी हैं. सारस्वत ने कहा था कि वे अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ के पक्षधर नहीं हैं, लेकिन इसकी तैयारी होनी चाहिए.
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2012 में जब भारत ने व्हीलर आईलैंड से अग्नि-5 मिसाइल का पहला परीक्षण किया था, तभी देश के पास सेटेलाइट को नष्ट करने की क्षमता आ गई थी.
पूर्व DRDO चीफ ने कहा- यूपीए सरकार ने नहीं दिया था पॉजिटिव रिस्पॉन्स
‘मिशन शक्ति’ के कामयाब होने पर डीआरडीओ के पूर्व चीफ डॉ. वीके सारस्वत ने कहा है, ‘हमने नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के लिए प्रेजेंटेशन बनाई थी. जब ये बातचीत चल रही थी, उन्होंने सभी तथ्यों को सुना. लेकिन दुर्भाग्य से हमें यूपीए सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली थी. इस लिए हम आगे नहीं बढ़ पाए थे.’
पूर्व डीआरडीओ चीफ ने कहा, "जब डॉ. सतीश रेड्डी और एनएसए अजीत डोभाल ने पीएम नरेंद्र मोदी के सामने प्रस्ताव रखा तो उन्होंने इस मिशन को पूरा करने का साहस दिखाया. अगर साल 2012-13 में ही हमें क्लीयरेंस मिल जाता, तो मैं पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं कि ये 2014-15 में लॉन्च हो जाता.”
कांग्रेस ने कहा साल 2012 में डाली गई थी मिशन की नींव
भारतीय वैज्ञानिकों की इस सफलता के बाद मिशन का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस सामने आई. कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्विटर पर लिखा, "डीआरडीओ को इस सफलता के लिए बहुत बधाई हो. इस मिशन की नींव यूपीए-कांग्रेस सरकार में 2012 में डाली गई थी. स्पेस टेक्नोलॉजी के मामले में भारत पहले स्थान पर रहा है जिसके लिए पंडित नेहरू और विक्रम साराभाई के विजन को श्रेय दिया जाना चाहिए."
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा, 'यूपीए सरकार के दौरान एंटी सेटेलाइट मिशन की शुरुआत हुई और आज यह मिशन अपनी संपूर्णता पर पहुंचा है. मैं इसके लिए अंतरिक्ष वैज्ञानिकों और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की दूरगामी दृष्टि को बधाई देता हूं.'
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