भारत में कंपनियों से आगे निजी तौर पर परोपकार करने वाले निकल गए हैं. डासरा/बेन एंड कंपनी इंडिया फिलैंथ्रापी रिपोर्ट 2021 (Dasra/Bain & Co India) के मुताबिक, साल 2020 में विदेशी योगदान और कंपनी की तुलना में व्यक्तियों और व्यावसायिक घरानों द्वारा निजी स्तर पर किए गए परोपकारी कामों के लिए दिए गए धन में इजाफा हुआ है.
साल 2020 में अमीर व्यक्तियों के निजी स्तर पर परोपकारी कार्यों के लिए दिए गए पैसो में 42 प्रतिशत की बढ़ोतरी है.
इन्होंने वित्त वर्ष 2019 में 21 हजार करोड़ रुपये दान दिए थे, जो कि फाइनेंशियल ईयर 2020 में बढ़कर 30 हजार करोड़ रुपये हो गए. सबसे ज्यादा इजाफा उन लोगों के कारण हुआ है जिन्होंने 5 करोड़ रुपये से अधिक का दान दिया है. इसी के साथ अमीर घरानों द्वारा परोपकार के लिए दिया धन 2020 में तीन गुणा बढ़कर 12 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया है.
वित्त वर्ष-2020 में निजी क्षेत्र के व्यावसायिक घरानों, कंपनी और अन्य के दिए गए पैसों में 23 प्रतिशत की बढ़त हुई है. इस दौरान परोपकारी कार्यों के लिए 64 हजार करोड़ रुपये दिया गया. सहायता के लिए निजी क्षेत्र द्वारा दिए गए दान में घरेलू कंपनियों की हिस्सदेारी 28 प्रतिशत और विदेशी दानदताओं की 25 फीसदी है.
डासरा/बेन एंड कंपनी इंडिया की रिपोर्ट ने संकेत दिया है कि वित्त वर्ष 2021 में कोविड-19 के प्रभाव के कारण कॉरपोरेट फंडिंग पर दबाव बढ़ने की वजह से कंपनियों का फायदा घटेगा. जिस कारण उनके कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (CSR) यानी कि सामाजिक जवाबदेही (परोपकारी के लिए दिया धन) 2021 में 5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है. जबकि 2014 से 2019 तक CSR में 17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी.
PM केयर्स फंड में दान दे रही कंपनियां
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि कंपनियां CSR पारंपरिक गैर लाभार्थी दान के माध्यम से देती है, लेकिन अब प्रधानमंत्री नागरिक सहायता (पीएम केयर्स फंड) में भी धन देने लगी है. उम्मीद है कि आने वाले समय में अरबपति परिवार ही दान को लीड करेंगे.
जैसे 2020 में हाई नेटवर्थ वाले व्यक्तियों द्वारा दिए गए पैसो में अजीम प्रेमजी के प्रेमजी फाउंडेशन का 67 प्रतिशत हिस्सा है. इसकी एक वजह ये है कि अमीर तेजी से अमीर हो रहे हैं, महामारी के बावजूद.
बेन रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020 में परोपकारी कामों के लिए आया पैसा कुछ ही क्षेत्रों में गया है. जैसे कि 47 फीसदी शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र में 27 प्रतिशत और 4 प्रतिशत ग्रामीण विकास में.
रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया कि भारत को सामाजिक क्षेत्र में और पैसे खर्च करने की जरूरत है. अनुमान के मुताबिक यह राशि 2025 तक सालाना 21.2 ट्रिलियन होगी. वित्त वर्ष-2021 में भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय 5.4 फीसदी कम हो सकती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)