भारत का स्पेस प्रोग्राम वहां पहुंचने की कोशिश कर रहा है, जहां अब तक कोई देश नहीं पहुंच सका है. इसरो अक्टूबर में एक ऐसा रोवर लांच करने जा रहा है जो चांद की जमीन पर परमाणु ऊर्जा तलाशेगा और भारत की एनर्जी क्राइसिस को एक झटके में खत्म कर देगा. यह 250 साल तक दुनिया की एनर्जी जरूरत पूरी कर सकता है.
यह न्यूक्लियर एनर्जी बिल्कुल क्लीन होगी. यानी परमाणु कचरे से रेडिएशन वगैरह का कोई डर नहीं. इस न्यूक्लियर एनर्जी की कीमत खरबों में डॉलर में हो सकती है. यानी भारतीय जीडीपी से कई गुना ज्यादा कमाई होने की भी गुंजाइश है.
250 साल तक दुनिया की एनर्जी जरूरत पूरी करने का इंतजाम
अक्टूबर में इसरो की ओर से लांच किया जाने वाला रोवर चांद की सतह पर एक वर्जिन टेरटरी तलाश रहा है. पानी और हीलियम-3 की तलाश में चांद की सतह की पपड़ी का विश्लेषण किया जाएगा. यह आइसोटोप पृथ्वी पर सीमित मात्रा में है. लेकिन चांद पर यह इतना ज्यादा है कि 250 साल तक दुनिया की एनर्जी जरूरत पूरी कर सकता है.
इसरो के चेयरमैन के सिवन कहते हैं
जिस देश में चांद की जमीन पर सिमटी न्यूक्लियर एनर्जी के दोहन क्षमता होगी वह हीलियम -3 आइसोटोप से एनर्जी बनाने की प्रक्रिया का नेतृत्व करेगा. भारत सिर्फ इस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनना चाहता. वह इसका नेतृत्व करना चाहता है.
चांद और मंगल मिशन की होड़ में आगे है भारत
भारत का यह मिशन उसे चांद, मंगल ग्रह और उससे परे खोजी अभियानों में लगे देशों के बीच और मजबूत बना सकता है. वैज्ञानिक, सैन्य और कारोबारी जरूरतों के लिए ये मिशन खजाना साबित हो सकते हैं. अमेरिका, चीन, भारत और रूस स्टार्टअप के जरिये इस क्षेत्र में होड़ कर रहे हैं. एलन मस्क, जेफ बेजोस और रिचर्ड ब्रानसन जैसे दिग्गज अरबपति कारोबारी चांद और मंगल पर सेटेलाइट, रोबोटिक लैंडर्स, अंतरिक्ष यात्री और टूरिस्ट उतारना चाहते हैं.
भारत का यह पहला मिशन नहीं है. चंद्रयान-1 क्राफ्ट 2008 में चांद पर उतर चुका है. इसने 3400 आर्बिट चक्कर पूरे कर लिए थे और जो संकेत भेजे थे उससे पहली बार चांद की सतह पर पानी होने के संकेत मिले थे.
मिशन के लिए तैयार है भारत
रोवर उतारना भारत के अंतरिक्ष अभियान में एक बड़ा कदम है. इसके तहत स्पेस स्टेशन और भारतीय दल भी ऑर्बिट में ठिकाना कायम कर सकता है. हालांकि सरकर को इस कार्यक्रम का टाइमफ्रेम अभी तय करना है.
सिवन का कहना है कि इस मिशन के लिए सरकार की हरी झंडी का इंतजार हो रहा है. इसरो इस कार्यक्रम के लिए पूरी तरह तैयार है. चांद रोवर और लैंडर उतारने की तमन्ना चीन भी संजोये हुए है. 2013 के चांग मिशन -3 के जरिये वह ऐसी कोशिश कर चुका है. हालांकि इस साल वह एक बार फिर इस मिशन पर लौटना चाहता है.
अमेरकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल में अंतरिक्ष यात्रियों से मून मिशन पर लौटने की अपील की है. नासा का प्रस्तावित 19 अरब डॉलर का बजट इस बात का सबूत है कि ट्रंप इस मिशन पर जोर दे रहे हैं. 2020 की शुरुआत में नासा एक ऑर्बिटर लांच करेगा.
इनपुट -ब्लूमबर्ग क्विंट
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