लक्षद्वीप द्वीप समूह में बिना अनुमति के अमेरिकी नेवी के फ्रीडम ऑफ नेविगन ऑपरेशन को लेकर भारत सरकार ने प्रतिक्रिया दी है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिकी नौसेना का यह कदम समुद्री सीमा के कानून को लेकर संयुक्त राष्ट्र के कनवेंशन के अनुरुप नहीं है.
अमेरिकी नौसेना के युद्धाभ्यास पर भारत की प्रतिक्रिया
अमेरिकी नेवी ने बुधवार को भारत की पहले से सहमति के बिना लक्षद्वीप द्वीप समूह के पास भारतीय एक्सक्लूजिव इकनॉमिक जोन में फ्रीडम ऑफ नेविगेशन ऑपरेशन किया था.
अमेरिकी नौसेना के इस ऑपरेशन पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि, समुद्री कानून को लेकर संयुक्त राष्ट्र के कनवेंशन पर भारत का रुख यह है कि कनवेंशन के तहत किसी दूसरे देश को विशेष आर्थिक क्षेत्र में और महाद्विपीय शेल्फ में, सैन्य अभ्यास या युद्धाभ्यास करने के लिए अधिकृत नहीं किया जाता है. विशेष रूप से उन स्थिति में, जो तटीय राज्य की सहमति के बिना हथियारों का इस्तेमाल करते हैं.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस संबंध में भारत ने अपनी चिंता को लेकर कूटनीतिक माध्यम से अमेरिका की सरकार को अवगत कराया है.
वहीं अमेरिका के नौसेना के इस युद्धाभ्यास को लेकर 7वीं फ्लीट (अमेरिकी नेवी) कमांडर ने बयान जारी किया था. जिसमें कहा गया कि 7 अप्रैल, 2021 (स्थानीय समय) को, यूएसएस जॉन पॉल जोन्स ने भारत के एक्सक्लूजिव इकनॉमिक जोन के अंदर, लक्षद्वीप द्वीपसमूह के लगभग 130 समुद्री मील पश्चिम में, नौसैनिक अधिकारों और स्वतंत्रताओं का प्रदर्शन किया, जो भारत की पूर्व सहमति के बिना, अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप था.
बयान में आगे कहा गया है, ''भारत को अपने एक्सक्लूजिव इकनॉमिक जोन या महाद्वीपीय शेल्फ में सैन्य अभ्यास या युद्धाभ्यास के लिए पूर्व सहमति की जरूरत होती है, यह दावा अंतरराष्ट्रीय कानून के साथ असंगत है.''
7वीं फ्लीट कमांडर के बयान में कहा गया है, ‘’इस फ्रीडम ऑफ नेविगेशन ऑपरेशन (FONOP) ने भारत के समुद्री दावों को चुनौती देते हुए अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत स्वीकार्य समुद्री अधिकारों, स्वतंत्रता, और वैध इस्तेमाल को बरकरार रखा है.’’
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