मौजूद ग्रोथ रेट पर भारत की जनसंख्या के 2047 तक पीक पर पहुंचने के आसार हैं. उस समय देश की आबादी अनुमानित 161 करोड़ हो जाएगी, जिसके बाद ये 2100 तक घट कर 103 करोड़ पर पहुंच जाएगी.
लांसेट की एक स्टडी के मुताबिक, 21वीं सदी के खत्म होने के बाद भारत शायद ही 100 करोड़ से ज्यादा की जनसंख्या का देश रहेगा. ये स्टडी 14 जुलाई को पब्लिश हुई है.
हालांकि, अगले करीब 25 साल देश की आबादी बढ़ने की संभावना है और 2046 के बाद ही जनसंख्या कम होना शुरू होगी.
जनसंख्या में कमी क्यों आएगी?
यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के हेल्थ मेट्रिक्स और इवैल्यूएशन इंस्टिट्यूट से जुड़े वैज्ञानिकों के एक समूह की इस स्टडी में ये अनुमान इस बात को मानकर लगाया गया है कि सभी देशों में महिलाओं के पास शिक्षा और गर्भ निरोधकों की पहुंच होगी.
ये दोनों फैक्टर जनसंख्या कैसे काबू में करते हैं?
शिक्षा और गर्भ निरोधकों तक पहुंच जनसंख्या की स्टडी करने में एक बहुत जरूरी मेट्रिक से जुड़े हैं- टोटल फर्टिलिटी रेट.
टोटल फर्टिलिटी रेट (TFR) वो मापदंड है जो ये बताता है कि किसी देश की जनसंख्या में भरपाई के लिए एक औरत को कितने बच्चे करने होंगे.
अगर TFR 2.1 से कम है, तो उसे देश की जनसंख्या कम होना शुरू कर देती है.
वैज्ञानिकों के हवाले से द हिंदू ने बताया, "हमारे मॉडल में एक जनसंख्या में जहां सभी महिलाओं को 16 साल शिक्षा और 95% महिलाओं के पास गर्भ निरोधक हो, ग्लोबल TFR का अनुमान 1.41 (1.35–1.47) आता है."
भारत सबसे ज्यादा घनी आबादी वाला देश रहेगा
हालांकि, जनसंख्या घटने के बाद भी भारत सबसे ज्यादा घनी आबादी वाला देश रहेगा. जनसंख्या के मामले में नाइजीरिया, चीन, अमेरिका और पाकिस्तान चार बड़े देश होंगे.
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