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भारत-चीन गतिरोध वाले क्षेत्रों से सैनिकों का पीछे हटना जरूरी: MEA

भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगोंग सो इलाके में पिछले साल पांच मई को हिंसक संघर्ष के बाद गतिरोध पैदा हो गया था.

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भारत
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चीन के साथ वरिष्ठ सैन्य कमांडर स्तर की अगले दौर की बातचीत से पहले भारत ने गुरुवार को साफ किया कि वो पूर्वी लद्दाख में संघर्ष वाले बाकी क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटते देखना चाहता है क्योंकि इससे ही सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल हो सकती है.

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘‘हम बाकी क्षेत्रों से (पूर्वी लद्दाख में) सैनिकों को पीछे हटते देखना चाहते हैं, जिससे गतिरोध दूर हो सकेगा.’’

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि शुक्रवार को भारत और चीन के बीच वरिष्ठ कमांडर स्तर की 11वें दौर की बातचीत में भारतीय पक्ष देपसांग, हॉटस्प्रिंग और गोगरा सहित लंबित समस्याओं को उठाएगा.

पिछले हफ्ते अरिंदम बागची ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा हालात लंबे समय तक बने रहना किसी के हित में नहीं हैं.

उन्होंने कहा था कि पैंगोंग झील क्षेत्र में सैनिकों की वापसी एक अहम कदम था और इसने पश्चिमी सेक्टर में बाकी मुद्दों के समाधान के लिए अच्छा आधार उपलब्ध कराया है.

बता दें कि पैंगोग झील क्षेत्र से सैनिकों के पीछे हटने के बाद वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की 10वें दौर की बातचीत हुई और विदेश मंत्री (एस जयशंकर) की उनके चीनी समकक्ष से टेलीफोन पर बातचीत हुई. इसके बाद चीन सीमा मामलों पर विचार विमर्श और समन्वय पर कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की 12 मार्च को बैठक हुई.

भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगोंग सो इलाके में पिछले साल पांच मई को हिंसक संघर्ष के बाद सीमा गतिरोध पैदा हो गया था. इसके बाद दोनों पक्षों ने हजारों सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती की थी.

सैन्य और राजनयिक स्तर की बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने इस साल फरवरी में पैंगोंग सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से सैनिकों और हथियारों को पीछे हटा लिया था. पिछले हफ्ते सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने कहा था कि पैंगोंग सो क्षेत्र से सैनिकों के पीछे हटने से भारत के लिए खतरा केवल कम हुआ है, खत्म नहीं.

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