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अफगानिस्तान: तालिबान के 'कब्जे' में भारतीयों की जान, कर रहे एयरलिफ्ट का इंतजार

Afghanistan: काबुल एयरपोर्ट पर मौजूद है एक भारतीय विमान और दूतावास में फंसे हैं 200 से अधिक भारतीय

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अफगानिस्तान (Afghanistan) पर 20 साल बाद फिर से तालिबान (Taliban) का कब्जा हो गया”.. इस वाक्य को एक खबर की तरह नहीं पढ़ा जाना चाहिये, बल्कि एक मर्सिये की तरह बार-बार दोहराया जाना चाहिये, ताकि अब तक मानवाधिकार का झंडा थामे विकसित देशों और संयुक्त राष्ट्र को अफगानी जनता के अधिकारों के हो रहे और आगे होने वाले कत्ल की हकीकत दिख सके. काबुल के दूतावास में अब भी फंसे लगभग 200 से अधिक भारतीय भी अपनी सरकार से उम्मीद कर रहे हैं कि उन्हें भी ‘एयरलिफ्ट’ कराया जाए.

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सूत्रों के हवाले से एनडीटीवी ने बताया कि विदेश मंत्रालय के कर्मचारियों और उनकी सुरक्षा के लिए तैनात अर्धसैनिक बलों के जवान सहित 200 से अधिक भारतीयों को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से निकाला जाना अभी भी बाकी है.

काबुल एयरपोर्ट पर एक भारतीय विमान और दूतावास में फंसे भारतीय

काबुल एयरपोर्ट पर एक भारतीय विमान खड़ा है.एयरपोर्ट पर माहौल दहशत का है और लोग बिना वीजा और पासपोर्ट के ही दूसरे देशों के लिए निकलना चाहते हैं. 16 अगस्त को जब भीड़ एयरपोर्ट की तरफ बढ़ने लगी तो अमेरिकी सेना को इसे कंट्रोल करने के लिए फायरिंग भी करनी पड़ी.विमानों पर लटके लोगों की गिरने से मौत की भी खबर है.

ऐसे में बड़ी चिंता यह है कि भारतीय कर्मचारियों को भारतीय दूतावास के परिसर से हवाई अड्डे तक सुरक्षित रूप से कैसे लाया जाए. एनडीटीवी के सूत्रों के मुताबिक तालिबान ने शहर में कर्फ्यू लगा रखा है.

काबुल में फंसे भारतीयों में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के करीब 100 जवान शामिल हैं, जिन्हें अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया है.

काबुल के बाहर भी फंसे हैं भारतीय

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 16 अगस्त को कहा कि “काबुल एयरपोर्ट से कमर्शियल फ्लाइट्स को आज निलंबित कर दिया गया है. इसने हमारे लोगों को वापस लाने के प्रयासों को रोकने पर मजबूर कर दिया है. हम इसे फिर से शुरू करने के लिए उड़ानों के फिर से शुरू होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं”

“हम उन लोगों को भारत वापस लाएंगे जो अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं. कई अफगान भी हैं जो हमारे पारस्परिक विकास, शैक्षिक और लोगों से लोगों के प्रयासों को बढ़ावा देने में हमारे भागीदार रहे हैं. हम उनके साथ खड़े रहेंगे.....हमने इमरजेंसी कॉन्टेक्ट नंबर फैलाया था और समुदाय के सदस्यों को सहायता भी प्रदान कर रहे हैं. हम जानते हैं कि अफगानिस्तान में अभी भी कुछ भारतीय नागरिक हैं, जो वापस लौटना चाहते हैं और हम उनके संपर्क में हैं”
अरिंदम बागची,प्रवक्ता विदेश मंत्रालय

लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि पिछले तीन-चार दिनों में भारतीय दूतावास के कर्मचारियों को क्यों नहीं निकाला गया जब इस युद्धग्रस्त देश में अन्य देशों के दूतावास अपने लोगों को निकाल रहे थे.काबुल पर भी तालिबान का नियंत्रण होना है, इसका अंदाजा तभी लग गया जब तालिबान ने काबुल को घेरने और रविवार को शहर में प्रवेश करने से पहले अफगानिस्तान के एक-एक प्रांत पर कब्जा करना शुरू कर दिया था.

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अफगानिस्तान से निकलने का बेतहाशा प्रयास करते लोग

तालिबान के कब्जे के साथ ही काबुल एयरपोर्ट से दिल दहलाने वाले दृश्य सामने आ रहे हैं.लोग अपनी जान बचाने के लिए जान पर खेलकर भी देश छोड़ने को तैयार हैं. ऐसा ही एक खौफनाक वीडियो सामने आया है, जिसमें रनवे पर दौड़ते प्लेन पर लोग लटक गए और जब प्लेन ने उड़ान भरी तो ऊंचाई से गिरने के कारण दो लोगों की मौत हो गई.

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