संयुक्त राष्ट्र (UN) के इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने 16 मार्च को रूस को यूक्रेन पर हमला रोकने का आदेश दिया है. कोर्ट ने आदेश के लिए 13-2 के वोट से फैसला सुनाया कि "रूस तुरंत सैन्य अभियानों को रद्द कर दे. ICJ के इस फैसले में रूस के खिलाफ वोट देने वालों में भारतीय जज दलवीर भंडारी भी शामिल हैं.
13 जजों ने आदेश के समर्थन में वोट दिया, वहीं 2 ने इसके खिलाफ वोट किया. भारत के जज ने जहां रूस के हमले का विरोध किया, वहीं चीन के जज ने आदेश का विरोध किया.
UN के कोर्ट ने कहा, "रूसी फेडरेशन को 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन के क्षेत्र में शुरू किए गए सैन्य अभियानों को तुरंत निलंबित कर देना चाहिए."
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोदिमीर जेलेंस्की ने ICJ के इस आदेश का स्वागत किया है. जेलेंस्की ने लिखा, "यूक्रेन ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में रूस के खिलाफ अपने मामले में पूरी जीत हासिल की. ICJ ने हमले को तुरंत रोकने का आदेश दिया. ये आदेश अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत बाध्यकारी है. रूस को तुरंत अनुपालन करना चाहिए. आदेश की अवहेलना रूस को और भी अलग-थलग कर देगी."
जज देश का प्रतिनिधि नहीं
रूस पर जस्टिस भंडारी का रुख, इस मामले पर भारत के आधिकारिक रुख से अलग है.
ICJ के जस्टिस अपने-अपने देशों के प्रतिनिधि नहीं होते हैं और इसलिए उन्हें राष्ट्रीय नीति के मुताबिक फैसला लेने की जरूरत नहीं होती है.
भारत ने यूक्रेन के खिलाफ रूस की सैन्य कार्रवाई की निंदा करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा 2 मार्च को पारित एक प्रस्ताव पर वोटिंग से परहेज किया था.
कौन हैं दलवीर भंडारी?
जस्टिस दलवीर भंडारी, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में अपना दूसरा टर्म सर्व कर रहे हैं. साल 2012 में, उन्हें पहली बार चुना गया था. उनका कार्यकाल साल 2018 तक चला था. उन्हें भारत द्वारा फिर से नॉमिनेट किया गया और उन्होंने यूके के नॉमिनी जस्टिस ग्रीनवुड को हराकर ICJ में एक और कार्यकाल जीता.
किन जजों ने किया वोट?
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के जिन जजों ने वोट किया, वो हैं:
जज जोआन ई डोनोग (अमेरिका), जज पीटर टॉमका (स्लोवाकिया), जज रॉनी अब्राहम (फ्रांस), जज मोहम्मद बनूना (मोरोक्को), जज अब्दुलकवी अहमद युसुफ (सोमालिया), जज जूलिया सेबुटिंड (यूगांडा), जज दलवीर भंडारी (भारत), जज पैट्रिक लिप्टन रॉबिनसन (जमैका), जज नवाफ सलाम (लेबनान), जज इवासवा युजी (जापान), जज जॉर्ज नोल्ट (जर्मनी), जज हिलेरी चार्ल्सवर्थ (ऑस्ट्रेलिया), जज एडहॉक दौडेट ने आदेश के समर्थन में वोट किया.
जज किरिल जीवॉरियन (रूस) और जज सू हानकिन (चीन) ने आदेश के खिलाफ वोट किया.
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