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रेलवे का ये टेस्ट रहा कामयाब तो कोहरे में आपकी ट्रेन नहीं होगी लेट

कोहरे की वजह से कई ट्रेनें 4 से 22 घंटों की देरी से चल रही हैं

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सर्दी का मौसम शुरू होते ही कोहरे की वजह से हर साल की तरह इस साल भी कई ट्रेनें देरी से चल रही हैं और यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है. रेलवे कोहरे से लड़ने के लिए नई तकनीक पर परीक्षण कर रहा है और इसके लिए कई तकनीकी कदम भी उठाए हैं.

इसके तहत ट्रेन प्रोटेक्शन वॉर्निग सिस्टम (टीपीडब्ल्यूएस), ट्रेन कोलिजन एवायडेंस सिस्टम (टीसीएएस) और टैरिन इमेजिंग फॉर डीजल ड्राइवर्स (ट्राई-एनईटीआरए) सिस्टम के साथ ही नए एलईडी फॉग लाइट्स लगाने की तैयारियां चल रही हैं, ताकि विजिबिलिटी में सुधार हो. लेकिन अभी इन तकनीकों पर परीक्षण चल रहा है.

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रेलवे के एक अधिकारी ने बताया-

कोहरे के कारण ड्राइवर को सिग्नल ठीक से दिखता नहीं है, इसलिए दुर्घटना का खतरा रहता है. इसलिए वे रफ्तार काफी कम रखते हैं.

रेलवे की कोहरे से निपटने की तैयारियां अभी भी नाकाफी हैं. उत्तर की तरफ जाने वाली ट्रेनों में एलईडी फॉग लाइटों और अन्य तकनीकों का प्रयोग करने की चर्चा हुई थी, लेकिन अभी भी यह परीक्षण के चरण में ही है. कोहरे के कारण विजिबिलिटी कम होने की वजह से उत्तर की तरफ जाने वाली सभी ट्रेनें कई घंटों की देरी से चल रही है. इससे रेलवे का भीड़-भाड़ वाला पूरा नेटवर्क प्रभावित होता है और सभी ट्रेनों पर असर पड़ता है.

घने कोहरे के कारण सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए ड्राइवर रफ्तार घटाकर 15 किलोमीटर प्रति घंटा तक ले आते हैं, जिसके कारण ट्रेनें 4 घंटों से लेकर 22 घंटों की देरी से चल रही हैं.

टीपीडब्ल्यूएस प्रणाली अभी केवल 35 इंजनों में लगी है, जो ड्राइवर को घने कोहरे या बारिश में भी सिग्नल देखने की सुविधा देती है. इसे चेन्नई और कोलकाता मेट्रो के उपनगरीय नेटवर्क में लगाया गया है.

वहीं, टीसीएएस सिस्टम में ड्राइवर को आरएफआईडी टैग के माध्यम से केबिन में ही सिग्नल दिखता है. लेकिन ये सभी प्रणालियां अभी पायलट चरण में ही हैं.

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