बुलंदशहर में इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या के आरोपी, आर्मी के जवान जितेंद्र मलिक (जीतू फौजी) को 14 दिन की जूडिशियल कस्टडी में भेज दिया गया है. पुलिस ने शनिवार में आधी रात को जीतू को अरेस्ट किया था.
जीतू ने पुलिस की गिरफ्त के बीच पत्रकारों से कहा कि वह भगौड़ा नहीं है. न ही उसने कुछ गलत किया है. उसे फंसाया जा रहा है.
इससे पहले जीतू ने इस बात को माना था कि जब इंस्पेक्टर को मारने के लिए भीड़ इकट्ठा हो रही थी, तब वो घटनास्थल पर मौजूद था. लेकिन उसने किसी भी तरह की हिंसा में शामिल होने से इंकार किया है.
जीतू के वकील संजय शर्मा के मुताबिक, 'जीतू को प्राथमिक जांच के आधार पर जूडिशियल कस्टडी में भेजा गया है. उसके परिवार के मुताबिक वो दोषी नहीं है, न ही कभी पहले वो इस तरह के कामों में शामिल रहा है. उसका कोई पुलिस रिकॉर्ड भी नहीं है.'
वकील ने आगे कहा, इस बात का कोई सबूत भी मौजूद नहीं है कि वो हिंसा के लिए लोगों को उकसा रहा था. उसे केवल उसकी मौजूदगी के आधार पर गिरफ्तार किया गया है.
हम सोमवार को उसकी जमानत अर्जी लोअर कोर्ट में लगाएंगे. वो यहां छुट्टी पर आया था और उसे 4 दिसंबर को ड्यूटी ज्वाइन करनी थी. घटनास्थल पर उसकी मौजूदगी के आधार पर उसे फंसाया जा रहा है. हमने उस पर लगाई गई IPC की धारा 302 का भी विरोध किया है, इसका जिक्र पुलिस ने कोर्ट में किया था.संजय शर्मा, जीतू के वकील
जीतू को 22 राष्ट्रीय राइफल्स ने जम्मू-कश्मीर के सोपोर में हिरासत में लिया था. इसके बाद उसे उत्तरप्रदेश पुलिस को सौंप दिया गया था. स्पेशल टॉस्क फोर्स के एसएसपी अभिषेक सिंह के मुताबिक, ‘उसने माना है कि जब भीड़ जमा हो रही थी, तब वह वहां मौजूद था. प्राथमिक तौर पर इसे सच भी पाया गया है. लेकिन अभी तक यह नहीं कहा जा सकता कि इंस्पेक्टर या सुमित को गोली उसी ने मारी है या नहीं. उसने कहा कि वो गांव वालों के साथ घटनास्थल पर गया था, लेकिन उसने पत्थर नहीं फेंके.’
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