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जेल भेजे जाने पर बोले चिदंबरम- मुझे सिर्फ अर्थव्यवस्था की चिंता है

तिहाड़ में अलग सेल में रहेंगे चिदंबरम

Published
भारत
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INX मीडिया मामले में CBI की स्पेशल कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को 19 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. चिदंबरम 14 दिन की न्यायिक हिरासत के दौरान तिहाड़ जेल में रहेंगे.

न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, तिहाड़ जेल ले जाने के दौरान चिदंबरम से जब पूछा गया कि कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है, इस पर उनका क्या कहना है? चिदंबरम ने कहा, ‘उन्हें सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था की चिंता है.’

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GDP को लेकर सरकार पर कसा था तंज

इससे पहले बीते मंगलवार को पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने आर्थिक विकास दर (GDP) में गिरावट को लेकर इशारों-इशारों में सरकार पर निशाना साधा था.

अदालत परिसर से बाहर आते हुए जब चिदंबरम से एक पत्रकार ने सवाल किया कि आप 15 दिन से हिरासत में हैं, आप को क्या कहना है? इसके जवाब में चिदंबरम ने पांच अंगुलिया दिखाते हुए कहा, ‘पांच फीसदी.’

इस पर पत्रकार ने पूछा कि ‘पांच फीसदी क्या है? क्या जीडीपी की बात कर रहे हैं?’ इसके जवाब में पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, ‘पांच फीसदी क्या है? क्या आपको पांच फीसदी याद नहीं है.’

तिहाड़ में अलग सेल में रहेंगे चिदंबरम

आदेश पारित होने के कुछ समय बाद, चिदंबरम ने जेल में जेड सिक्योरिटी और अलग सेल के साथ दवाओं और एक वेस्टर्न टॉयलेट के लिए एक आवेदन दायर किया. कोर्ट ने चिदंबरम की सभी मांगें मंजूर कल लीं.

चिदंबरम ने प्रवर्तन निदेशालय के सामने सरेंडर करने के लिए भी याचिका दायर की. इस याचिका पर 12 सितंबर को सुनवाई होगी.

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री की पुलिस हिरासत की अधिकतम समय सीमा गुरुवार को खत्म हो गई. इसी को लेकर सीबीआई ने स्पेशल कोर्ट से चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने की अपील की थी.

कोर्ट में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने चिदंबरम का पक्ष रखा. वहीं, सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की.

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CBI की ओर से तुषार मेहता ने रखी दलीलें

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि मामले के तथ्यों और चल रही जांच को देखते हुए, पी चिदंबरम को न्यायिक हिरासत में भेजना "जरूरी" है. मेहता ने कहा कि अगर चिदंबरम को रिहा कर दिया गया तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेंगे और गवाहों को प्रभावित करेंगे.

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चिदंबरम की ओर से सिब्बल ने पेश की दलीलें

दूसरी ओर, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने चिदंबरम को रिहा किए जाने की मांग की. उन्होंने तर्क दिया कि एक रिमांड का आदेश, विशेष रूप से ज्यूडिशियल रिमांड, कोर्ट द्वारा एक मैकेनिकल और ऑटोमेटिक तरीके से पारित नहीं किया जा सकता है. सिब्बल ने कहा-

“कानून में ऐसा कोई सिद्धांत नहीं है कि एक बार पुलिस हिरासत खत्म हो जाए, तो न्यायिक हिरासत जरूरी है. कोर्ट को हर स्तर पर तथ्यों के साथ अपना विचार रखना होगा.”

सिब्बल ने तर्क दिया कि CBI की ओर से न्यायिक हिरासत के लिए दायर किए गए आवेदन में दिए गए कारणों का कोई आधार ही नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि उनके खिलाफ आरोपों का समर्थन करने या सबूतों के संभावित छेड़छाड़ के दावों का समर्थन करने के लिए कोई भी सबूत नहीं है.

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दिल्ली हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत की याचिका खारिज किए जाने के बाद CBI ने चिदंबरम को INX मीडिया मामले में बीते 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था.

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