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महामारी को भारत में धर्म के चश्मे से देखा जाना गलत: युवल हरारी

हरारी इतिहासकार होने के साथ ही मशहूर लेखक भी हैं

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कोरोना वायरस का भारत में प्रकोप बढ़ता जा रहा है. देश में संक्रमण के मामले करीब 12,000 हो गए हैं. इससे होने वाली मौतों की संख्या लगभग 400 पहुंच गई है. दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के कार्यक्रम के बाद संक्रमण के मामले बढ़े तो सोशल मीडिया पर कई लोगों ने मुस्लिमों को निशाना बनाया. जमात और कोरोना वायरस से जुड़ी कई फेक न्यूज भी सामने आई हैं. ऐसे में इजरायली इतिहासकार युवल नोआह हरारी ने भारतीयों को नफरत नहीं एकजुटता दिखाने की सलाह दी है.

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हरारी इतिहासकार होने के साथ ही मशहूर लेखक भी हैं. न्यूज चैनल इंडिया टुडे के ई-कॉन्क्लेव कोरोना सीरीज में युवाल नोआह हरारी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को महामारी का जिम्मेदार बताने वाली खबरें पढ़कर वो काफी परेशान हुए.

"हमें नफरत की जरूरत नहीं"

इंडिया टुडे के एंकर राहुल कंवल से बातचीत में हरारी ने कहा कि पहले की महामारियों में भी भारत पर काफी ज्यादा असर हुआ था. हरारी ने कहा, "स्पेनिश फ्लू के समय भारत सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था. मैं भारत पर कोई एक्सपर्ट नहीं हूं इसलिए इस महामारी पर देश की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी नहीं करूंगा. लेकिन मुझे लगता है कि भारत के सामने बहुत बड़ी चुनौती है."

मैं भारत सरकार की प्रतिक्रिया पर बात नहीं कर सकता क्योंकि मैं उतना नहीं समझता हूं. लेकिन मैं लोगों से अनुरोध करूंगा कि वो देश में अलग-अलग समुदायों और दूसरे देशों के साथ नफरत नहीं एकजुटता दिखाएं, .   
युवल नोआह हरारी

हरारी ने कहा, "मैंने सुना है कि कई लोग अल्पसंख्यकों को महामारी का जिम्मेदार बता रहे हैं. खासकर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को और इसे आतंकी हरकत भी बता रहे हैं."

ये सब बकवास है और बहुत खतरनाक भी है. हमें और नफरत नहीं चाहिए, हमें एकजुटता चाहिए, हमें लोगों के बीच प्यार चाहिए.  
युवल नोआह हरारी

कौन हैं युवल नोआह हरारी?

हरारी बेस्टसेलर बुक 'Sapiens-A brief history of humankind' के लेखक हैं. ये किताब 2014 में पब्लिश हुई थी. इसमें हरारी ने इंसानों के इवोल्यूशन को एक अलग तरह से समझाया है. हरारी ने इस किताब को हिब्रू में लिखा था. 2014 में इसका अंग्रेजी अनुवाद पब्लिश किया गया.

इसके अलावा युवल नोआह हरारी ने '21 Lessons for the 21st Century' और 'Homo Deus: A Brief History of Tomorrow' किताबें भी लिखी हैं. हरारी हिब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ जेरूसलम में प्रोफेसर हैं.

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