ADVERTISEMENTREMOVE AD

देश को चांद पर पहुंचाने जा रहे सिवन, अपने परिवार में पहले ग्रेजुएट

के सिवन का जन्म 14 अप्रैल 1957 को तमिलनाडु के एक किसान परिवार में हुआ था

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

मिशन चंद्रयान-2 के जरिए भारत एक नया मुकाम हासिल करने वाला है. इस मिशन में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के वैज्ञानिकों और इंजीनियर्स के साथ-साथ ISRO चेयरमैन कैलासवादिवु सिवन की भी बड़ी भूमिका है. सिवन चंद्रयान-2 मिशन में स्पेसक्राफ्ट की डिजाइनिंग से लेकर लैंडिंग ऑपरेशन तक हर अहम गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं. चलिए आपको बताते हैं कि साल 2018 में इसरो चीफ बने सिवन हैं कौन और उनकी उपलब्धियां क्या हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस तरह आगे बढ़ी पढ़ाई


के सिवन का जन्म 14 अप्रैल 1957 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के एक किसान परिवार में हुआ था. उनकी शुरुआती पढ़ाई एक स्थानीय सरकारी स्कूल में तमिल मीडियम से हुई थी. सिवन के एक संबंधी के मुताबिक, वह अपने परिवार में पहले ग्रेजुएट हैं.

न्यूज एजेंसी पीटीआई को सिवन के एक परिजन ने जनवरी 2018 में बताया था कि सिवन कभी भी ट्यूशन या कोचिंग क्लास नहीं गए.

सिवन ने नागरकोइल के एसटी हिंदू कॉलेज से ग्रेजुएशन की. इसके अलावा उन्होंने साल 1980 में मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की. इसके बाद उन्होंने IISc, बेंगलुरु से साल 1982 में ऐरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री ली. सिवन ने साल 2007 में ऐरोस्पेस इंजीनियरिंग में IIT बॉम्बे से PhD भी की.

जब 'रॉकेट-मैन' बने सिवन

साल 1982 में ही सिवन पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) प्रोजेक्ट का हिस्सा बनकर ISRO से जुड़ चुके थे.

सिवन ने भारत के स्पेस प्रोग्राम में क्रायोजेनिक इंजनों को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई. इसके अलावा सिवन यह सुनिश्चित करने की रणनीति भी लेकर आए कि रॉकेट मौसम और हवा की अलग-अलग स्थिति में लॉन्च हो सकें. इन योगदानों की वजह से ही सिवन को रॉकेट मैन कहा जाने लगा.
के सिवन का जन्म 14 अप्रैल 1957 को तमिलनाडु के एक किसान परिवार में हुआ था
के सिवन की फाइल फोटो
(फोटो: ANI) 

फरवरी 2017 में PSLV-C37 से 104 सैटेलाइट को एक ही फ्लाइट में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था. इस मिशन में सिवन का अहम योगदान था. ISRO के चेयरमैन बनने से पहले सिवन त्रिवेंद्रम में विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर थे.

मिल चुके हैं ये अवॉर्ड

  • साल 2007 में ISRO मेरिट अवॉर्ड मिला
  • साल 2011 में रॉय स्पेस साइंस एंड/और डिजाइन अवॉर्ड
  • साल 2013 में MIT एल्मुनी एसोसिएशन से डिस्टिंगुइश्ड एल्मुनस अवॉर्ड
  • साल 2014 में सत्यभामा यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट ऑफ साइंस (ओनोरिस कोसा)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×