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चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने भेजी चांद की नई तस्वीर, ISRO ने की शेयर

हाई रेजॉल्‍यूशन कैमरे से ली गई तस्वीरें चांद के सतह पर मौजूद छोटे बड़े गड्ढेनुमा आकार को साफ दिखा रही हैं

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चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के कैमरे से चांद की साफ तस्वीरें अब सामने आई हैं. इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के हाई रिजोल्यूशन कैमरे से ली गई तस्वीरें जारी की हैं. हाई रेजॉल्‍यूशन कैमरे से ली गई तस्वीरें चांद की सतह पर मौजूद छोटे-बड़े गड्ढे नुमा आकार को साफ दिखा रही हैं.

बता दें कि इससे पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मून ऑर्बिटर ने चांद के उस हिस्से की तस्वीरें ली थी, जहां चंद्रयान-2 के 'विक्रम' लैंडर ने सॉफ्ट लैंडिंग की नाकाम कोशिश की थी.

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 हाई रेजॉल्‍यूशन कैमरे से ली गई तस्वीरें चांद के सतह पर मौजूद छोटे बड़े गड्ढेनुमा आकार को साफ दिखा रही हैं
इसरो ने 5 अक्टूबर 2019 को शेयर की चांद की तस्वीर
(फोटो: ISRO)
लैंडर ‘विक्रम’ 6 और 7 सितंबर की दरम्यानी रात चांद के दक्षिणी धुव्रीय क्षेत्र में ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने जा रहा था. वो जब चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की दूरी पर था, तभी उसका संपर्क ISRO से टूट गया था.

क्या दिखा इसरो की नई तस्वीर में

इसरो ने ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरे से ली गई तस्वीर जारी की है. ऑर्बिटर हाई रिजोल्यूशन कैमरे (OHRC) से चंद्रमा की सतह की तस्वीरें लेता है. यह पैंक्रोमैटिक बैंड (450-800 nm) पर काम करता है.

इस OHRC इमेज को 100 किमी की ऊंचाई से 5 अक्टूबर को शाम 5 बजे लिया गया था. ये तस्वीर BOGUSLAWSKY ई क्रेटर (14 किमी डायमीटर और 3 किमी डेप्थ) और आसपास के एक हिस्से को कवर करती है, जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में स्थित है.

 हाई रेजॉल्‍यूशन कैमरे से ली गई तस्वीरें चांद के सतह पर मौजूद छोटे बड़े गड्ढेनुमा आकार को साफ दिखा रही हैं
इसरो ने 5 अक्टूबर 2019 को शेयर की चांद की तस्वीर
(फोटो: ISRO)

चांद पर मौजूद चार्ज पार्टिकल्‍स का पता चला

इसरो ने एक और जानकारी दी है कि चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर पेलोड सही से काम कर रहे हैं. पेलोड ने चार्ज पार्टिकल्‍स और इसकी तीव्रता का पता लगा लिया है.

 हाई रेजॉल्‍यूशन कैमरे से ली गई तस्वीरें चांद के सतह पर मौजूद छोटे बड़े गड्ढेनुमा आकार को साफ दिखा रही हैं
इसरो ने 5 अक्टूबर 2019 को शेयर की चांद की तस्वीर
(फोटो: ISRO)

बता दें कि भारत ने अपने हैवी लिफ्ट रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल GSLV MkIII-M1 की मदद से 22 जुलाई को चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया था. सात सितंबर को चंद्रयान-2 के विक्रम का चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश सफल नहीं हो पाई थी.आखिरी क्षणों में इसका जमीनी केंद्र से संपर्क टूट गया था.

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