भारत दिसंबर में कार्टोसैट -2 श्रृंखला के अंर्तगत अपनी नवीनतम रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट लॉन्च करेगा. 28 विदेशी उपग्रहों को यह अपने साथ लेकर जाएगा. इसमें अमेरिका और अन्य देशों के 25 नैनो उपग्रह और तीन सूक्ष्म उपग्रह होंगे.
इसरो 31 अगस्त को एक पीएसएलवी रॉकेट अतिरिक्त नेविगेशन उपग्रह को तैनात करने में नाकाम हो गया था. इसके बाद इस लॉन्च को गौर से देखा जा रहा है.
पीएसएलवी से किया जाएगा लॉन्च
एंट्रिक्स कॉपोर्रेशन लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एस. राकेश ने कहा, "अगले लॉन्च में हमारे पास कार्टोसैट के साथ 28 अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक उपग्रह होंगे, जिन्हें दिसंबर के दूसरे सप्ताह में लॉन्च किया जाएगा. " एंट्रिक्स कॉपोर्रेशन लिमिटेड सरकार के स्वामित्व वाले अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक शाखा है. राकेश ने कहा कि इन उपग्रहों को पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) से लॉन्च किया जाएगा.
धरती की निगरानी में बेहतर है कार्टोसैट-2
कार्टोसैट-2 धरती की निगरानी करने वाला एक सैटेलाइट है. कार्टोसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह में हाई क्वालिटी के कैमरे लगे हैं, जो शहरी व ग्रामीण नियोजन, तटीय भूमि के उपयोग, सड़क नेटवर्क की निगरानी आदि के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े उपलब्ध कराएंगे. यह बेहतर तस्वीरें देने में सक्षम है.
इसी श्रृंखला में पिछले उपग्रह (कार्टोसैट -2 ई) को 15 फरवरी को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था. यह स्पेसपोर्ट चेन्नई से 90 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित है.
जून में इसरो ने बनाया था रिकॉर्ड
जून 2017 में इसरो ने अंतरिक्ष में एकसाथ 31 सैटेलाइट छोड़े थे. पीएसएलवी-सी38 के साथ भेजे गए इन सभी उपग्रहों का कुल वजन करीब 955 किलोग्राम था. इन उपग्रहों में भारत के अलावा ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चिली, चेक गणराज्य, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, लातविया, लिथुआनिया, स्लोवाकिया, ब्रिटेन और अमेरिका समेत 14 देशों के 29 नैनो उपग्रह शामिल थे.
इससे पहले जून 2016 में इसरो ने श्रीहरिकोटा ने सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV C34 लॉन्च किया था. इसरो ने एकसाथ 20 सैटेलाइट लॉन्च कर रिकॅार्ड बनाया था. पीएसएलवी के साथ अमेरिका, जर्मनी और गूगल के भी सैटेलाइट्स थे.
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