जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों को फिर से परिभाषित करने वाले परिसीमन आयोग के आदेश 20 मई से प्रभावी हो गए हैं. कानून मंत्रालय ने यह जानकारी दी. परिसीमन आयोग ने जम्मू क्षेत्र में 6 और और घाटी में एक विधानसभा सीट बढ़ाई थी. ऐसे में जम्मू-कश्मीर की 90 सदस्यीय विधानसभा में जम्मू संभाग में 43 और कश्मीर में 47 सीट हो गई हैं.
इस रिपोर्ट के जरिए पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए जम्मू कश्मीर में 9 विधानसभा सीटों को आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है, जबकि अनुसूचित जाति के लिए पहले की तरह ही 7 विधानसभा सीटें आरक्षित रखी गई हैं. जम्मू कश्मीर की नई विधानसभा में कश्मीरी पंडितों और POJK विस्थापितों को प्रतिनिधित्व मिला है.
राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार विधानसभा की 7 सीटें बढ़ाई गई हैं. विधानसभा में सदस्यों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है. केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले विधानसभा में सीटों की संख्या 87 थी, जिसमें चार सीटें लद्दाख की थीं. लद्दाख के अलग होने से 83 सीटें रह गईं हैं. जो बढ़ने के बाद 90 हो गई हैं. परिसीमन आयोग ने 7 सीटों में एक सीट कश्मीर और छह सीटें जम्मू संभाग में बढ़ाई हैं.
प्रत्येक लोकसभा में 18 विधानसभा क्षेत्र
जम्मू-कश्मीर की लोकसभा सीटों में भी परिसीमन आयोग ने फेरबदल किया है. अब जम्मू और कश्मीर दोनों संभागों के हिस्से ढाई-ढाई लोकसभा सीटें होंगी. पहले जम्मू संभाग में उधमपुर डोडा और जम्मू-कश्मीर में बारामुला, अनंतनाग और श्रीनगर की सीटें थीं.
वहीं, नई व्यवस्था के तहत अनंतनाग सीट को अब अनंतनाग-राजोरी पुंछ के नाम से जाना जाएगा यानी जम्मू सीट से दो जिले राजोरी और पुंछ निकालकर अनंतनाग में शामिल कर दिया गया है. प्रत्येक लोकसभा सीट में 18 विधानसभा सीटें होंगी. उधमपुर सीट से रियासी जिले को निकालकर जम्मू में जोड़ा गया है.
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार परिसीमन कब हुआ था?
जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार परिसीमन 1995 में हुआ था. उस समय जम्मू-कश्मीर में 12 जिले और 58 तहसीलें हुआ करती थीं. वर्तमान में प्रदेश में 20 जिले हैं और 270 तहसील हैं. पिछला परिसीमन 1981 की जनगणना के आधार पर हुआ था. इस बार परिसीमन आयोग 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन का काम कर रहा है.
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