जम्मू कश्मीर के सुंजवान सैन्य शिविर पर आतंकवादियों के हमले में 5 जवान शहीद हो गए. एक नागरिक भी मारा गया वहीं तीन आतंकियों को ढेर कर दिया गया. रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने हमला किया, इसकी कीमत पाकिस्तान को चुकानी पड़ेगी.
साल 2018 जम्मू कश्मीर के लिए खूनी साबित होता जा रहा है. महज दो महीनों में हुए आतंकी हमलों में 10 से ज्यादा सुरक्षाबलों की मौत हो गई है. वहीं 2 नागरिकों के मारे जाने की रिपोर्ट है. इसी बीच 10 से ज्यादा आतंकियों को भी ढेर किया गया.
साल दर साल बढ़ रहे हैं मौतों के आंकड़े
जम्मू कश्मीर में पिछले 4 साल के आंकड़े परेशान करने वाले हैं. साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल (SATP) के आंकड़ों के मुताबिक, 2014 से 2017 के बीच सबसे ज्यादा नागरिकों ने 2017 में अपनी जान गंवाई. यही हाल सुरक्षाबलों के शहीद होने का भी रहा है. जहां 2017 में आतंकी घटनाओं में 57 नागरिकों ने अपनी जान गंवाई, वहीं 218 जवानों ने शहादत हासिल की है.
'जीरो टॉलरेंस' की थी सरकार की नीति
26 मई, 2014 को देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते हुए नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' की नीति अपनाने का संकल्प लिया था. जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ ज्यादातर मौतें बीते 1.5 साल के दौरान हुईं.
खासकर 8 जुलाई, 2016 को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के सुरक्षा बलों के हाथों मारे जाने के बाद आतंकी घटनाएं बढ़ी हैं. इसी के साथ ही कश्मीर के युवाओं की आतंकियों से तेजी से जुड़ने की खबर भी आने लगी.
2017 में घाटी में 126 युवक आतंकी संगठनों से जुड़े
जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्य की विधानसभा में ये जानकारी दी है कि कश्मीर घाटी में साल 2017 में 126 स्थानीय युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए. साल 2015 में 66, साल 2016 में 88 और साल 2017 में 126 युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए.
- साल 2010 में 54 युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए.
- साल 2011 में इसमें गिरावट आई और 23 युवा आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए.
- ये संख्या और कम होकर साल 2012 में 21 और साल 2013 में 16 रह गई.
- आंकड़ों के मुताबिक साल 2014 में ये संख्या बढ़कर 53, साल 2015 में और बढ़कर 66 और साल 2016 में 88 हो गई.
ऐसे में सरकार को आतंकी घटनाओं पर लगाम कसने के लिए और भी पुख्ता नीति की जरूरत है. साथ ही कश्मीर के युवाओं को भटकाव से बचाने के लिए भी कारगर उपाय करने होंगे.
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