पुलवामा अटैक में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने मीरवाइज उमर फारूक समेत पांच अलगाववादियों नेताओं से सिक्योरिटी कवर हटा लिया है. जिन अन्य चार अलगाववादियों नेताओं से सुरक्षा कवर हटाई गई है वे हैं शब्बीर शाह, हाशिम कुरैशी, बिलाल लोन और अब्दुल गनी बट.
एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि, “इन पांच और अन्य अलगाववादियों को किसी भी लिहाज से अब कोई सिक्योरिटी कवर नहीं मुहैया कराई जाएगी. प्रशासन के नए आदेश के मुताबिक रविवार शाम से से इन अलगाववादियों नेताओं की लगी सुरक्षा और वाहन हटा लिए जाएंगे. सरकार की ओर से मुहैया सभी सुविधाएं भी हटा ली जाएंगी.”
सरकार के इस कदम के बाद मीरवाइज उमर फारूक ने कहा कि उन्होंने कोई सुरक्षा नहीं मांगी थी. यह कोई मुद्दा नहीं है. वहीं अब्दुल गनी बट ने कहा कि उन्हें कोई सुरक्षा नहीं चाहिए. कश्मीर के लोग ही उनके लिए सुरक्षा कवर की तरह हैं. फारूक ने कहा कि सिक्योरिटी कवर हटाने या लगाने से कश्मीर का मसला सॉल्व नहीं होगा. सरकार को कश्मीर इश्यू लटका कर नहीं रखना चाहिए. सिक्योरिटी कवर हटाने से कश्मीर पर हमारे रुख में कोई परिवर्तन नहीं वाला.
शनिवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह की ओर से हाई लेवल मीटिंग के बाद कश्मीर के अलगाववादी नेताओं की सिक्योरिटी हटाने का फैसला किया गया था. मीटिंग में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव राजीव गॉबा और इंटेलिजेंस ब्यूरो के डीजी राजीव जैन मौजूद थे. इन लोगों ने कश्मीर की सुरक्षा स्थितियों का जायजा लिया. शुक्रवार को श्रीनगर में एक प्रेस कांफ्रेंस में राजनाथ सिंह ने कहा था जो लोग पाकिस्तान से फंड ले रहे हैं उन्हें सुरक्षा कराई जा रही है. इन लोगों को आईएसआई पैसे दे रही है. लेकिन ये भारत की सुरक्षा लिये हुए हैं. जम्मू-कश्मीर में कुछ लोगों के तार आईएसआई से जुड़े हैं. उनकी सुरक्षा की समीक्षा होनी चाहिए. पुलवामा में आतंकी हमले के बाद 40 सीआरपीएफ जवानों के शहीद होने के बाद देश भर में गुस्से को देखते हुए सरकार ने अलगाववादी नेताओं की सिक्योरिटी हटाने का फैसला किया है.
---इनपुट पीटीआई से
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