हरियाणा की जींद विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे आ चुके हैं. जींद में पहली बार बीजेपी ने जीत हासिल की है. बीजेपी के कृष्ण मिड्ढा ने ये चुनाव 12,935 वोटों से जीता है. कष्ण मिड्ढा को 50,566 वोट हासिल हुए.
बीजेपी के कृष्ण मिड्ढा का मुकाबला पहली बार चुनाव में उतरे जननायक जनता पार्टी के दिग्विजय सिंह चौटाला से था. वहीं कांग्रेस के सीनियर लीडर और राहुल गांधी के करीबी रणदीप सुरजेवाला तीसरे नंबर पर रहे. एक लाख 72 हजार मतदाताओं वाले जींद में 75.72% वोट पड़े थे.
जींद में इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) विधायक हरिचंद मिड्ढा के निधन की वजह से उपचुनाव हुआ था. साल 2014 में हुए जींद विधानसभा चुनाव में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के डॉ. हरिचंद मिड्ढा जीते थे. 25 अगस्त, 2018 को उनके निधन के बाद ये सीट खाली हो गई थी.
पहली बार जींद में बीजेपी ने खोला खाता
करीब एक लाख 70 हजार आबादी वाले जींद में 50 हजार जाट वोट हैं. इसलिए जाट वोट यहां जीत-हार के लिए बड़ा फैक्टर माना जा रहा था. जाट बनाम नॉन जाट की लड़ाई में बीजेपी ने नॉन जाट उम्मीदवार कृष्ण मिड्ढा को मुकाबले में उतारकर चुनाव दिलचस्प बना दिया था. चुनाव से दो महीने पहले ही कृष्ण मिड्ढा बीजेपी में शामिल हुए थे.
जींद हमेशा से ही जाट बनाम नॉन जाट पॉलिटिक्स की प्रयोगशाला रही है. हालांकि, जाट यहां मेजॉरिटी में होने के बाद भी पिछले कई दशक से एक भी विधायक नहीं बना सके हैं. कांग्रेस, JJP और INLD ने जाट उम्मीदवार को मैदान में उतारा था. वहीं बीजेपी ने नॉन-जाट कैंडिडेट उतार कर खेल को अपने पक्ष में कर लिया.
क्या कहता है जींद का चुनावी इतिहास?
जींद विधानसभा में 12 बार चुनाव हुए हैं जिसमें 5 बार कांग्रेस, 4 बार इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) ने जीत दर्ज की. वहीं एक-एक बार हरियाणा विकास पार्टी, एनसीओ और निर्दलीय विधायक ने जीत हासिल की. कांग्रेस नेता मांगेराम गुप्ता यहां से 4 बार जीते.
2009 में लोकदल के हरिचंद मिड्ढा ने मांगेराम गुप्ता को हराया. और लगातार दो बार विधायक बने. 2014 में कृष्ण मिड्ढा के पिता हरिचंद मिड्ढा ने लोकदल से बीजेपी में गए सुरेंद्र बरवाला को 2257 वोट से हराया था. लेकिन अब ये पहला मौका जब बीजेपी इस सीट पर जीत दर्ज करा पाई है.
INLD में फूट के बाद बनी JJP दूसरे नंबर पर
बता दें कि अभी हाल ही में आईएनएलडी ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. जिसके बाद चौटाला परिवार में दरार पड़ गई और अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत और दिग्विजय ने अपनी पार्टी बनाने का फैसला कर लिया. 9 दिसंबर 2018 को जननायक जनता पार्टी बनाई. वहीं अभय चौटाला ने लोकदल की कमान संभाल ली. जननायक पार्टी का ये पहला चुनाव था जिसमें उसने कांग्रेस को पछाड़ कर दूसरा नंबर हासिल किया है.
कांग्रेस के लिए मुश्किल
2019 लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस जोश में नजर आ रही थी. लेकिन जींद में सीनियर लीडर रणदीप सुरजेवाला की हार कांग्रेस के लिए आने वाले चुनाव में हरियाणा में मुश्किलें बढ़ा सकती हैं.
ये भी पढ़ें- जींद: जाट-नॉन जाट की जंग में BJP,कांग्रेस, चौटाला पुत्रों का टेस्ट
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)